ग्वालियर राज्य के अभिलेख | Gwalior Rajya Ke Abhilekha

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Gwalior Rajya Ke Abhilekha by श्री हरिहर निवास द्विवेदी - Shri Harihar Niwas Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४ ) रूप में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निकल रहे हैं। चौथी पुस्तक स्थापत्य पर अवकाश मिलने पर लिखैंगा। संयोग ऐसा आया कि हिन्दी की सेवा का अवसर देखकर मुझे ग्वालि- यर-शासन की नौकरी में जाना पड़ा । छाधिक काम करके भी उसमें इतना अवकाश मिलता था कि पिछले सावंजनिक जीवन की व्यस्तता की पूर्ति उससे नही पाती थी और उन सूने क्षणों में दुर्बह् भार को कम करने के लिए मैंने पुरातत्व की ओर दृष्टि डाली और मुझे समय के सार्थक उपयोग का अत्यन्त सुन्दर साधन प्राप्त हो गया। इस प्रकार इस दिशा में जो कुछ जैसा भी मैं कार्य कर सका हूँ उस के लिए में ग्वालियर-शासन का 'झाभारी हूँ । विक्रम-स्मृति-अ्॑थ के संचालकों का स्मरण मैं यहाँ अत्यन्त आभार पूवेक कर देना अपना सौभाग्य मानता हूँ । मेजर सरदार कृष्णुराव दौल्नतराव महदाडिक के कृपापूर्ण सहयोग ने उक्त श्रन्थ में आदि से अन्त तक काये करने का मेरा उत्साह अक्षुण्ण रखा और उसके साथ साथ इस कार्य को भी प्रगति मिलती रही । अपने इस प्रयास की सफलता मैं उसी अनुपात में मानूँ गा, जिसमें कि ७ कक #७५. न जी यह पुस्तकें भारतीय सांस्कृतिक गौरव के प्रदशेन एवं उसमें मेरे इस प्रदेश द्वारा दिये गये अंशदान की महत्ता पर प्रकाश डाल सकें । मैं झपने अनेक कृपालु एवं समर्थ मित्रों के, इस पुस्तक को अंग्रेजी में लिखने के, आग्रह को पूरा न कर सका । उनकी आज्ञा का पालन न कर सकने का मुके खेद है, परंतु अपने संकल्प के औचित्य का विश्वास है । अंत में में झपने सहयोगियों को धन्यवाद देता हूँ जिनके द्वारा मुझे इस सूची को तयार करने में प्रोत्साइन अथवा सहयोग मिला है। पुरातत्व विभाग के भूतपूवें डायरेक्टर श्री मो० ब० गईं बी० ए० व श्री कृष्णराव घन- श्यामराव वकक्‍्शी, वी० ए०, एज-एल० बी० ने मुके इस दिशा में पूर्ण सहायता एवं प्रोत्साइन दिया हैं और बतेमान डायरेक्टर श्री डा० देवेन्द्र राजाराम पाटील एम० ए०, एल-एल्न० बी०, पी० एच-डी० के सुभावों ने इस अभिलंख- सूची को अधिक उपयोगी बना दिया हे । मेरे अलज्लुज श्री उदय द्विवेदी 'साहित्य- रत्न” तथा मेरे प्रिय शिष्य श्री ननूलाल खन्डेलवाल 'साहित्यरत्न' ने इसके काय में मेरा बहुत हाथ बटाया है । विद्यामंदिर, मुरार हरिहरनिवास द्विवेदी विजयादशमी सं. १००४ वि०




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