कार्निवाल | Karnival

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : कार्निवाल - Karnival

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कृष्ण चंदर - Krishna Chandar

Add Infomation AboutKrishna Chandar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
डरने लगी थी । यह लड़को अब रोज श्राने लगी है, यह गरीव नौकरों करने वाली लड़की हर रोज़ कानिवाल का टिकट कंते खरीद सकती है । मालूम होता है झ्पनो सारी तनख्वाह लाली की खातिर उनके बूथ की नजर कर रहो है। एक तरह से तो श्रच्छी वात है. मगर दूसरी तरह सोचो तो डर लगता है ; कही लाली मेरे हाथ से निकल न जाए। मगर लाली इस समय भला चलाकर चायद शोभा को भूल चुका है । वह चाय पीता हुमा कुरकुरे खारे विस्कुद मुह मे दालकर चुर-चुर की श्रावाज अपने मज़बूत जबडे से निकालता कसी मोहुक निगाहों से मेरी भ्रोर देख रहा है । सचमुच मेरे दक बे-वुनियाद है । मारी बदन की गोरी-चिट्टी मिसेज होशग ने सोचा श्रौर श्रपने वार्कर को चाय पिलाकर वापस ग्रपने दूध पर ब्रा बैठी, श्रौर इतमीनान के साथ टिकट बेचने में लग गई । थोडी देर के बाद लाली भी वाहर श्रा गया, श्रोर दूय के स्ट्ल पर खडे होकर दूसरे चवकर के लिए भीड़ जमा करने लगा । बूय के अन्दर वेठी हुई होगशगवाई छुप-छुपकर प्यारभरी नज़रो से उसे देखती जाती ब्ौर टिकट काटती जाती । कमी-कमी जव लाली हाथ उठाकर अपने माथे से वालो की लट पीछे को लौटा देता, तो होशंगवाई का दिल जोर से घक्‌-घक्‌ करने सगता । उसे लाली की यह श्रदा वेहद पसन्द थी । कर होशगवाई ने घडी देखी, म्रभी कानिवाल ख़त्म होने में डेड घटा थाकी है, श्रभी चार चक्कर श्रौर होगे । चार श्राखिरी चक्कर । म्रव सिफें ग्राखिरी चार बार टिकट बिकेगे, इसलिए लोगों की भीड़ बढ़ गई है। हर बूथ के सामने बाकंर चिल्ला-चित्लाकर अपने खास दो देखने के लिए लोगों को टिकट खरीदने का निमन्त्रण दे रहे है । दो सर की श्रौरत देखिए ।” चार हाथ का लड़का ।” “ज्योतिप बताने वाली गाप 1” “पाच रुपये के टिकट पर पाच सौ रुपये इनाम ।” “मेरी श्ू




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now