हिंदी क्रियाओं का अध्ययन | Hindi Kriyaayon Ka Addhyayan

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Hindi Kriyaayon Ka Addhyayan by राजकिशोर सिंह - Rajkishor Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्यायू- रू धातु विकास और वर्गीकरण १ धातुत्रीं का विकास हिन्दी -ड्ियापदी बौर धातुर्ण का विकास संस्कृत श्र कै माध्यम सै इुच् है । वैदिक यग शी अपैक्षा संस्कृत मैं धातुत्रां का प्रचलन कम ही गया शौंए प्राजृतलाल मैं किया की रूपावली तथा धातु मैं पारिवतैन अधिक दबा | भारतीय तथा चिदैशी विददानों नै संस्कृत की संख्या लगभग २००० निश्चित की है म्वादि १०३४५ अदादि ७२ जुहीौत्यादि २४ दिवादि १४० स्वादि ३४५तुदादि १४५७ रुधादि २४५ तनादि १० कृयादि ६९ चुरादि ४१४१ । मौनियर विलियम्स की गणना मै अनुसाए शदादि मैं २० जुहौत्यादि मै २० स्वादि मैं १० रुघाएँद मैं ६ तनादि २ श्र क्रयादि मैं १५ धातुर्ट ठी संस्कृत काल मैं प्रचलित रह गईं थी । हा0० धी रैन्द्र वर्मा के अनुसार प्राय ८०० सै कूछ अधिक घातृ्ों का प्रयौग प्राचीन - साइित्य मैं मिलता है । इन ८०० धातुत्रीं मैं २०० धातु का प्रयौग कैवल वैदों और बाण ग्रन्थों मैं हुआ है ४०० धातु वैटिव और सस्कृत सा मैं प्रयुक्त दुई 5 और साया. गो. बी. जिया वा. निंदा हाथ. पका गिचक. खड़ा भियाका. निया. गाया. पढ़ च्याा. नाक. का कफ. नया. नया. गिल. बा. प्यकाका. बा. बा . गा. नायक. चढ़ा. विदा. श्याम. फियका. नया. या. मय. नरक. बाद. बाधा. गति. बचा. गंवा. मचाने. पाना. गयी. शरीक. गया. पाक. सा. लक. पा १ का चटर्जी बै0०लै० ६१४ ख धी ०वर्माँ डि०्भा०्इति० ३०२ ग सफ्सैना -सं०्या०प्र० पु० ३०६५ २ क मौनियरविलियम्स - संण्यण- २४६ ख छटिनी - सं०्या0०-१०३ ३ सक्सैना - स०्व्या०प्र०- नवपू सौपान ४ संग्रा० २४६ पर. ३०३




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