पालि साहित्य का इतिहास | Pali Sahitya Ka Itihas

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Pali Sahitya Ka Itihas by राजकिशोर सिंह - Rajkishor Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पालि साहित्य का इतिहास प्र (११) श्रीमती रायस डेविड्स के अचुसार जब त्रिपिटक लिखे नहीं गए थे तो पालि या पंक्ति शब्द से मर्थ था--पठित पंक्ति । लिखित रूप में आने पर ' लिखित पंक्ति. से अर्थ लिया जाने लगा होगा । (१२) ए० बेरिमिडल कीथ महोदय के अचुसार-- फूड 596००४ ० 8पतते92, उं (0 96 इंप घिह एव त०प99९४5. घिह विघाएटघ नि पघर€ 96९० , फिट 6605 0 उपाधि ए०पाइ 0 160 प्रा हा 1018. भर्थातु--बुद्धभाषा जो कि श्रिपिंटक में भाती है, निस्सन्देहू शिक्षित समाज की बोलचाल की भाषा थी, जिसका गठन भारत के शिक्षित समुदाय के ध्यवहार की की दृष्टि से ही हुआ था । (१३) एच० पी० चुद्धदत्त घारा के अनुसार-- - घट 1घाइुपब्ु उप पसंद! पिंड, 01065 , फिपतेतफ़िड (०505 नह ,००णूण७७प, 0 उप ए०प्ताघिप 04 बट पक, _ नाल (9९. 0. फिवफुहाणा घपते 0 तपापंपड पं० बटुक नाथ धार्मा ने भी 'पालि जातकावलि” की भूमिका में लिखा है कि पालि भाषा है जिसमें बौद्ध ग्रंथ, लिखित, हैं । पहले ' सुल ग्रंथ तथा बाद में ' सूलग्रंथ की भाषा के अर्थ को चोतिंत करने लगा । निश्चित रूप से सभी मत-मतान्तरों का विवेचन करने के पश्चात्‌ पं० बटुक नाथ जी के मत से ही सहमत होना पड़ता-है कि, पालि भाषा है । बौद्धों के घर्मे ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए । पहले यह केवल मुल ग्रंथों की परिचायिका थी किन्तु कांलान्तर में सुल ग्रंथों की भाषा भी इससे ययोतित होने लगी । प्रश्त--'पालि क्रेवल बौद्ध धर्म की भाषा -थी ।' इस उक्ति की मीमांसा करते हुए उसके समय और विस्तार पर प्रकाश डालिए अथवा .. पालि भाषा की उत्पत्ति एवं प्रदेश के सम्बन्ध में समस्त मतों का सर्वा गीण विवेचन कीजिए




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