श्री ओंकार निरूपण | Shri Omkar Nirupan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
164
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म भूमिका ::
जटा जूट लट धुकट थशिर सोहे सुभग गल ब्याल ।
सो महेश उमा सहित करहूँ सहाय कृपाल ॥।
--चतर कवि
श्रीमन कविराज शक्तरसिंदजी जिला जयपुर ठिकाना ढिग्गी के निकट
दतोप ग्राम के निवासी थे और उनके पिताजी का नाम माठमसिंहजी था ।
बह ब्रह्म भट्ट बरवा जाति के थे और उनका कार्यक्रम क्षत्रिय वंशोत्पति आदि
का इतिहास सुनाने व नवीन कुलोत्पन्न इतिहास लिखने का था ।
यह है कि इस जाति को राजस्थान में बड़वा नाम से ही पुकारते हैं
जिसका अथ ऐसा होता है कि अपने कुछ के बडाओं की बंशावलि सुनाना व
लिखना । इसलिए इन जाति को मेवाड़ाधीश महाराणाओं ने बड़वा नामक
उपाद्धि इनाईत की गई । इसी कारण से राजस्थान में रहने बाले क्षत्रिय
अगर दूसरी कोमों भी इनको बढड़वा अर्थात् वरवा नाम से ही पहचानने:
ढगी इनकी विशेष संख्या राजस्थान में दी प्रचलित हे बरना दूसरे देशों में
वंशावलि लिखने और सुनाने वाले को भट्ट था राव' नाम से पुकारे जाते हैं ।'
बह जाति इनसे प्रथक है । दूसरा इसी तरह जोधपुर मारवाड़ के महाराजाओं
ने इनको रात्र की उपाद्धि इनाईत की थी इसलिए राजस्थान मारवाड़ आदि:
में इनको रावजी अर्थात् बड़वाजी शब्द से ही पहिचानते हैं 1
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