भूगोल में क्षेत्रीय कार्य एवं प्रयोगशाला प्रविधियाँ | Bhugol Me Kshetriya Kary Evm Pryogshala Prvidhiyan

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असलम महमूद - Aslam Mehmood

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एल. एस. भट्ट - L. S. Bhatt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्यीय 2 मानचित्र बनाना 1. मापनियों-उनका उपयोग तथा रचना भौगोलिक अध्ययन में मानचित्रों के महत्व पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। अब हम यहाँ उन विविध कारकों पर विचार करेंगे जिनका मानच्रित्रों के निर्माण में योगदान होता है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सबसे पहले हम उन मुख्य बातों पर विचार करेंगे जो सभी मानचित्रों में समान होती हैं। इनमें मापनी का महत्वपूर्ण स्थान है। घरातल के चित्र था मॉडल बिना उसे छोटा किए नहीं बनाएं जा सकतें। अतः किसी भी मानचित्र पर विचार करते समग्र हमें ध्यानपूर्वक देखना वाहिए कि उसकी मापनी कैसी है। उंदाहुरण के लिए भूमि के किसी छोटे टुकड़े पर एक नया मकाने बनने के लिए तैयार किया गया मानचित्र बड़ी मापती पर होता है। एक नगर ताल्लुका या तहसील का मानचित्र मध्यम मापनी पर बनाया जाता है। एटलस के मानचित्र तथा पार्थिव रलोब की मापनी छोटी होती है। भानचित्र के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी धरातल पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की वास्तविक दूरी को प्रदर्शित करती हैं। इस प्रकार मानचित्र की दूरी तथा धरातल की दूरी के बीचें के अनुपात की मापनी कहते हैं। उदाहरण के लिए जब हम कहते हैं कि एक सेंटीमीटर बराबर एक किलोमीटर की मापनी है तो इसका यह अर्थ होता है कि मानचित्र पर एक सेंटीमीटर की दूरी धरातल पर एक किलोमीटर की दूरी के बराबर है। मानचित्र पर मापनी सदैव रेखीय मापनी के रूप में अभिव्यक्त की जाती है। बड़ी मापनी पर बनाए गए मानचित्र वे होते हैं जिनमें प्रदेशिति क्षेत्र के भौगोलिक लक्षणों के अधिक ब्योरे अंकित होते हैं। ऐसे मानचित्र छोटी मापनी पर बने मानचित्रों की तुलना में छोटे क्षेत्र को प्रदर्शित करते हैं। छोटी मापनी वाले मानचित्र एक बड़े क्षेत्र के कुछ प्रमुख लक्षणों को दिखाने के लिए तैयार किए जाते हैं। इस प्रकार छोटी मापनी के मानचित्रों में केवल धोड़ी सी चुनी हुई सूचनाएँ ही दी जाती हैं। मानसित्र के उद्देश्य को ध्यान में रखकर ही उसकी मापनी का चयन किया जाती हैं। मानचित्र पर मापनी का निकपण मानचित्र पर मापनी तीन विधियों के हारा व्यक्त की जाती हैः 1. कथन हीरा 2. संख्यात्मक भिन्न द्वारा तथा 3. ग्राफीय मापनी हारा 1 कथन द्वारा इस विधि से मापनी को शब्दों में प्रकट किया जाता




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