चित्रकूट - चित्रण | Chitrakoot - Chitran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
518 KB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अ्रस्तावना
जक्डैरेंडने
सयुक्त प्रात की विंध्याचल की श्रेणियों में चित्रकूट के
समान खुरम्य स्थान झौर काई नहीं हैं । यदों की बनशोभा
पद्दाडी दृश्य, सोते भरने, मन्दाकिनी की पवित्र धारा, इत्यादि
देख कर दर्शक गण मुग्ध दो जाते हैं। काटितीथ, देवाज्ञना,
हद्टमानघारा, फटिकशिला, सीताकुड, अत्रि अचुसूया श्राध्रम,
शुष्त गोदाबरी, इत्यादि प्राकतिक मनोदर स्थलों के देख कर
विश्वकर्मा परमात्मा की अनुपम रचनाचातुरी का झनु मव करते
डुए दर्शकगण आश्चर्य श्र श्रानन्द में तदलीन हो जाते हैं ।
जिन दर्शक ने परमात्मा की रूपा से कविप्रतिभा का वर
पाया है, उनके लिए तो ऐसे प्रकृति सौन्दर्यपरण रथान मानों
कर्पना करपतरु ही हैं । यो ता सष्टि सौन्दये का श्रचुभव सभी
दर्शक करते हैं, परन्तु कवि की दृष्टि कुछ निराली दी होती है
जिस वस्तु का साधारण दशक साधारण इष्टि से देखता है,
कवि उसमें झपनी कट्पना की दष्टि से कुछ श्रौर ही देखता है ।
कि प्रत्येक चस्तु की श्रस्तगत सुन्दरता के झपनी सनाहर
कल्पनाओं द्वारा देखता दै; श्र प्रमु की झ्जुपम लींला का
अजुभव करके श्रानन्द में मरन दो जाता है
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