उलटा वृक्ष | Ulta Vriksh

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Book Image : उलटा वृक्ष  - Ulta Vriksh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उल्टा वृक्ष है कि तेरा बेटा वीमार हो जाए ?' मां कानों पर हाथ धरकर बोली, “राम, राम ! बेटा, मैं तो दिन-रात तेरे भला-चंगा रहने की प्रार्थना करती रहती हूं ।” इतना कह मां झोंपड़े के भीतर चली गई । राम कुएं से डोल खींचकर अपनी गाय को पानी पिलाने लगा । इतने में उसे अपने वास में, जो अब राजा का हो चुका था, बड़े सुन्दर वस्त्र पहने एक लड़की दिखाई दी । राम ने पूछा, “तुम कौन हो ?”' लड़की ने कहा, मैं राजकुमारी हूं । मैं अपने वाग़ की सैर करने निकली हूं । जुककर मुझे नमस्कार करो ।”” “क्यों करूं ? ” राम ने पुा । राजकुमारी ने अकड़कर कहा, “मैं राजकुमारी हुं ।” राम ने अकड़कर कहा, “मैं मोची का वेटा हू ।” राजकुमारी ने कहा, “मेरे कपड़े सोने के तारों के वने हुए हैं।” राम ने कहा, “मेरे दांत वहुत मजबूत हैं ।” राजकुमारी वोली, “मैं रोज़ गाजर का 'हलवा खाती हू ।” रास वोला, “मैं गाजर उगाता हू । क्या तम गाजर उगा सकती हो ?” श्पू




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