मध्यकालीन संस्कृत - नाटक | Madhyakalin Sanskrit - Natak
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
500
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दनुमनाटक छ
समाचार मिा तो वे पुष्पक विमान से उन्हें देखने गईं । इधर गुड ने अस्तरस
का शावकर उन्हें पुन्ग्वीवित किया । तय मेघगाद ने माथा की सीता बनाफर उसे
काद डाठा | राम के समद यद सब हुआ । राम यद्द देखकर मूर्रिदित हो गये 1 उघर
मेघनाद दाक्तिसंचय फरने के छिए श्षपने शरीर के मांस से इवन कर रददा था ।
इजुमान् ने उसे यज्ञ में विगन ढाठकर निप्फठ कर दिया । फिर तो. रूदमण मे उसे
मार ही दाछा 1
रावण ने छघमण को मारने के छिपे ब्रह्मा की शक्ति का प्रयोग किया | उसे
इनुमान ने समुद्र में फेंक दिया । यद्द देखकर रावण म्रह्मा को सारने के छिए उधत
हुआ । घह्मा ने अपने पुच्र नारद से कद्दा कि तुम दमुमानू को युद्धरयठ से ददाओ,
जिससे रायंग की शक्ति सफठ दो, अन्यथा चदद मुझे दी मार दाउेगा | नारद ने ऐसा
ही किया । दाक्ति से रावण ने तब प्रा किया, जिससे उदमण मूर्रिछित दो गये ।
इजुमानू उचघमण को उचाने के छिए सैंचय सुपेण को छापे । सुपेग ने कद कि दुद्टिग
पर्वत से संजीवनी यूटी छाई जाय तो इनकी प्राणरक्षा दो । इनुमान् ने कद्दा कि में
तरकाढ उसे छाता हूँ
तेलाग्तेः सर्पपस्य स्फुटनरवपरस्तत्र गत्वात्र चेमि ॥ १३.२०
शर्यात् जितनी देर तक थान पर डठा सरसों चटसता दे, उतनी दी देर में संजीवनी
खेकर में भा जाऊंगा ।
सेजीवनी का विवेक लसम्मव था । इनुमान् को घद्द पर्थत ही ठाना पढ़ा । उसे
उन्ददंनि अपने पिता बायु की सद्दायता से उखादा । उसे छेकर ये शयोध्या के ऊपर से
उचे । उन्हें भरद ने उस्सुकतावश बाण से मार गिराया। थे राम का नाम छेकर
मूर््छिन दो गये । उसकी मूर्घ्छा वसिष्ट ने उसी पर्घत पर माप्त संजीवनी से दूर कर
दी। उन्दोंने सब समाचार सुनाया । भरत के घठ की परीक्षा छेने के छिए इजुमान्
ने कद्दा कि में थक गया हूँ । तब मरत ने दनुमान् सदित पंत को ठद्ा पहुँचाने के
छिए चाण की नोक पर--
सादिं कर्पि समधिरोप्य शुणे नियुज्य |
मोक्तुँ दचे मटिति कुण्डलिंनं 'चकार
तुह्माव त॑ परमविस्मयमागतः सः ॥ १३.२४.
खचमर्ण स्वस्थ हुए । घोर युद्ध में रावण-पच्ष के सभी वीर मारे गये । अन्त में
मन्दोदरी से पछुने के छिए रावण गया कि में मारा जाकर स्वर्ग जाउँ या सीता को
लौटा दूँ 1 मन्दोद्री ने कद्दा कि यदद चुद्धि, पदठे आई दोती तो कितना अच्छा होता ।
खाय तो आप मुझे युद्ध करने की भाज्ा दें--
देवाजां देदि योदें समरमवतराम्यस्मि सुविया यत्तु १४.६
रावण ने कहा, “नहीं, थय सुझे दी खढना दे ।' बद राम के द्वारा सारा गया 1
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