लौटती पगडंडियाँ | Lotati Pagadandiyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
394
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अधिक कह गया। अपनी वदालत करना सुक्ते झभीप्ट नहीं था। बेवल
अपनी कहानियों को निमित्त बना कर कया, उस वी भाषा और उस के शिल्प,
दोनो के विकास और पाठक वी सवेदता वी दीक्षा के वारे में कुछ कहना चाहता
था। मेरी प्रस्तुत कहानियाँ वीस वर्ष या उस से अधिक पुरानी है, इन वीस वर्षों
मे विधा आगे न बढ़ी होती तो ही आइचये की वात होती । मैं कहानी लिखता
नहीं रहा पर सतके पाठक के नाते दखता-समझता रहा हूँ कि कहानी की प्रगति
क्घिर है और उस के प्रेरक कारण क्या हैं? अब फिर कभी अगर कहानियाँ
लिखूँगा ता निश्चय ही वे इन कहानियों से भिन्न होगी और वह भिन्तता
संकारण होगी और यह कहना भावस्यक नही होगा कि ये कहानियाँ किसी
नये अर्थ मे नयी हैं, बयो कि वे विधा के विकास में से ही निकली हुई होगी । पर
सम्भाव्य अपनी जगह रहे, ये कहानियाँ जहाँ थी वही रख कर पढ़ी जायें ।
अभी वे पापठ्य नहीं हुई हैं ऐसा मुझे लगता है । साधारण पाठक के लिए भी
नहीं, कहानीवार के लिए भी नहीं । यो गलतफहमी किसे नही होती !
-'झनेय
पहने भाग (छोडा हुमा रास्ता) की तरह इस भाग के परिशिष्ट मे भी
वहानिया वा लेखन-क्रम दे दिया गया है । एक और परिशिप्ट में कुछ चुनी हुई
भालोचनाएं भो सक्लित कर दी गयी हैं। आशा है, इन से पाठक का किचितु
मनोरजन भी होगा, कुछ जानकारी भी बढ़ेगी । अध्येता के लिए कुछ सन्दर्भ-
सूचनाएँ भी मिल जायेंगी 1
--लेखक
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