आधुनिक हिंदी काव्य शिल्प | Aadhunik Hindi Kaavya Shilp

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Aadhunik Hindi Kaavya Shilp by डॉ. मोहन अवस्थी - Dr. Mohan Avasthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय ८ : भाषा २३०३-३४४ भाषा--लिंग-वरचन आदि--शब्द-मं हार--तत्सम शब्द-प्रयोग--प्रान्तीय प्रयोग--ब्रजमाषा-प्रयोग-- उू-प्रयोग--अंगरेज़ी-प्रयोग --बैँगला-प्रयोग-- सर्वनाम--क्रिया-रूप--समास-विंघान--वाक्य-विन्यास--मुद्दावरे तथा लोको- तियाँ--नये मुद्दावरे--नवीन-शब्द-रूप--नये. प्रयोग--नवीन शब्द- रचना --नये झथ--पुनरादइत्ति--सम्वादात्मकता--चित्रात्सक भाषा | उपसंह्ार : ३५५४-३६ ३ क परिशिष्ट : ३६६-३८.० नामानुक्रमणु--ग्रं थानुक्रमण संक्षिप्त रूप सें ० ना संस्करण प्र ० ना प्रथम द्वि्‌ 0 ना द्वितीय तृ० .... --..... तृतीय न्ते० जन न्चतुरथ पं०, पाँ०--.... पंचम, पाँचवाँ ० कस छल स०, स०--..... सप्तम, सातवां ० न उट्टसू स० ' -- नवमू सो ० ला सोलइवाँ दे० -.... देखिए तु० तल तुलना कीजिए बि० न विक्रम संवत्‌ कप लस्मन् ढस्व उच्चारण हृष्ठव्य--कपया पृष्ठ ३६ की प्रथम पंक्ति में पुनस्थापन के स्थान पर पुनः स्थापन करें ।




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