राजस्थान के तीर्थ | Rajasthan Ke Tirth

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rajasthan Ke Tirth by परमेश्वर द्विरेफ - Parameshvar Dwiref

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about परमेश्वर द्विरेफ - Parameshvar Dwiref

Add Infomation AboutParameshvar Dwiref

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
राजस्थान के तीर्थ श््ू इलो० ३४५) से विदित है कि .जरासन्घ के वार-बार झाक्रमण से चस्त होकर भगवान्‌ श्रोकृष्ण ने यदुप्रों को दारकापुरी-में बसा -दिया -था । हारकापुरी जाते हुए -यदु लोगों ने 'मरु' श्रौर 'घन्व',: नाम के दो प्रदेशों को पार किया था । भुगोलवेत्ताश्ों ने रघन्व' क्षेत्र को पहचान 'सारवाड़ से की है । * महाभारत (समापवें, ब्रध्याय डर) से आत है कि प्राचीनकाल में राजस्थान में मालव, शिवि-श्नौर न्रिगतों'के गणतंत्र राज्य थे। पाण्डवों केः दिरिजय प्रसंग में दशा श्रौर माध्यमिकियों के साथ मालव, शिवि श्ौर चिगतों का नामोल्लेख- हुमा है । 'माव्यमिका नगरी” का उल्लेख महरपि, पतब्जलि ने श्रपने वेयाकरण-महा भाष्य- में भी किया है । यह मगरी वर्तमान मेवाड़ क्षेत्र में चित्तौड़ से-झाठ मील:..पर स्थित है । यहाँ उत्ख॒नन से.सिक्के भी मिले हैं । महाभारत में उकत गणराज्यों . के उल्लेख के साथ मत्स्यप्रदेश , और सरस्वती नदी का भी उल्लेख झाया है । श्रववर श्रौद जयपुर की पुरानी रियासतों का कुछ भाग मत्स्य प्रदेश के नाम से ख्यात रहा है । डा० काशोप्रसाद जायमबाल ने ( हिन्दू पालिटी पृष्ठ १५४ ) में बताया है कि महाभारत में उल्लिखित उत्सव संकेत” गणराज्य की स्थिति पुष्कर (श्रजमेर) क्षेत्र में थी । डा० दिवेकर मे डानेक प्रमाणों द्वारा सिद्ध किया हैं, कि ऋषि विदवाभित्र ने बेद के गायत्री छन्द॑ की 'रचना पुष्कर में की थी । धर्मशस्मों का कहना है कि 'जिस क्षेत्र में शमी के वुक्ष' श्रौर कृष्णसागर सृयों का चाहुल्य हो, वह क्षेत्र यज्नू करने योग्य होता है ।” राजस्थान इसे दृष्टि से यजन-याजन की भूमि ' माना जातां रहा ' है । उपनिपद्‌ काल श्रौर स्मृति काल में राजस्थान ब्रह्मरपि 'देश' कहलाता 'था । विश्वामिय ने यहीं तपस्पा करके प्रह्मपि पद प्राप्त किया था । गायत्रो छन्द का साक्षात्कार उन्होंने राजस्थान में ही किया था, इसलिए उनकी तपःसाघना शौर श्रलम्प ब्रह्मपि पद की स्मृति में यह प्रदेश अह्मपिदेश, के माम से- म्रमिहिति किया गया था । भागे चलकर, मनु ने सम्पूर्ण, भारत ,को ब्रह्मावतें, पम्रह्मर्षि.देश, मध्यदेश श्र भरार्यावत इन चार भागों में दिभवत . किया 1, मनु. - फे-ग्रनुसार भी ब्रहापि देश. राजस्थान ठहरता है । कौपोतकि उपनिपद्‌ (६१) भी इसका सम्थन-करती है । . महाभारत मत्स्यदेश की राजधानी विरादुनगर बतलाता है। यह




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now