अभिनव शिक्षण - शास्त्र | Abhinav Shikshan Shatra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय पृच्ठन्रूख्या शिक्षा-विभाग, श्राचाय शोर विधालयका परिक्षेश्र, आतचाय और समाज । अध्यापक मकर द७'४ मघुर वाणी, वेष-भूषा, झादश जीवन, सुघरता, चरित्र, नियमितता, सन्नद्धता, श्राज्ञाकारिता, झध्यापकका काम, गुरु और शिष्य । पुरस्कार और दूंड पर ३७७ पुरस्कार और दंड, पुरस्कार, दंड-विधान, शारीरिक दंड, पारिश्रसिक दूंड, आर्थिक दंड; सामाजिक दंड, भीति-दंड, तुलनात्मक पच्षपात दंड, दुंडमें विवेक, छात्रोंका शील-विदलेषण--बुद्धिके अनुसार, चरित्र- की दृष्टिसे, शारीरिक अवस्थाओंकी इष्टिसि, श्ाचरणकी इृष्टिसे, विभिन्‍न बुद्धिवाले बालकोंसे व्यवहार, विसिन्‍न स्वभाववाले बालकोंके साथ व्यवहार, विभिन्‍न 'चरित्रवाले बालकोंसे व्यवहार, विभिन्‍न झाचरणवाले छात्रोंसे व्यवहार । विनय और शील शचक कक ३६२ विनयकी समस्या, गुरुकुलमें विनयकी व्यवस्था, श्राजका विनय, अभिभावक अपने बालकोंको क्यों पढ़ाते हैं १, नई पद्धतियाँ एकाग्रता, अध्यापकका व्यक्तित्व, सूदु व्यवहार, पांडित्य, विनय पैनी दृष्टि, मघुर वाणी और सघे हुए कान, सजीवता, सर्जन, विनय- में एकरूपता, विनय ( डिसिप्लिन ) श्रौर शील ( टोन )) में अन्तर, विद्यालयमें शोल-भावना, शील-सिद्धिके साधन । पाठ्यक्रम तथा समय-चया ेग ३६६. शिक्षण-ब्यवस्था, विषय-क्रम, पाव्य-विषयके प्रकार, किस क्रमसे पाव्य-विषय रक्खे जाय ?, पाव्यक्रममें कौन-कौनसे विषय नहीं रखने चादिएं, पुस्तकोंके बदले पाव्य-विषय, पाव्य विषयोंकी उपादेयता, पाव्यक्रम केपे व्यवस्थित किया जाय ?, परिस्थितिका कया झथे है ?; समय-चर्या ( टाइम-टेबिल्र ), समय-चर्या-विधान,




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