गृह्य - मन्त्रऔर उनका विनियोग | Grahy Mantra Aur Uanka Viniyog

Grahy Mantra Aur Uanka Viniyog by डॉ. कृष्णलाल - Dr.Krishan Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अन्य सक्षेप हू बल्कल्प --इदष्डिया भॉफ वदिक कल्पसूच ज । इ० स्टू --इडिवो स्ट्डिमन ' थो व» --भपोडनवग। थु दि. --गुणकिष्णु, (द्दास्दोस्यस नब्ाहाण--भाध्यकार] ! ले रा... --जयराम (पारस्कर गरृह्वासून-- भाध्यकार) । हु नछुलना कोजिये । दे --दैशिपे । दे था० --देवपाल (काठकगृह्मसूत्र भाव्यकार) था हि. --पादटिप्पणी 1 म्रिरु --प्रियरत्न [लिखक यमपितूपरिचिय) । भ्ु -सुमिका । लि ज --विददेश्वरानन्द इडॉलॉजिकल जनल । थे हल --वदिक ददेवत । थे. काँचू --वर्दिक कॉन्कॉड्स । व प्राकस्तू --वद्िक भामर फॉर स्टूडेंट्स । स वि. ---सस्कारविधि । से बु०्ई --सेकिड बुक्स भॉफ दी ईस्ट । हवा थ. --स्वामी वयानन्द । हु मिं. --हरदत्त मिश्र ।




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