सहजानन्द डायरी | Sahajanand Dayari

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Sahajanand Dayari  by महावीर प्रसाद - Mahaveer Prasadश्री मत्सहजानन्द - Shri Matsahajanand

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi

No Information available about महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi

Add Infomation AboutMahavir Prasad Dwivedi

श्री मत्सहजानन्द - Shri Matsahajanand

No Information available about श्री मत्सहजानन्द - Shri Matsahajanand

Add Infomation AboutShri Matsahajanand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
यहाँ तो निंजकी प्रभुता श्रनादि सहजसिद्ध है केवल उसके भावदर्शन ही करना कार्य रह गया है। की प्यारो ! करलो अपना काम । मेरे ! मानलो श्रारामकी बात । सब कुछ 1 करलो श्रपने पर मिहर । भया ! न दुखी होश्रो अब रच । सब वस्तु पर है, उनके ध्यानसे होने वाला भाव भी पर है । परसे, परापेरों श्रपना कुछ लॉथ नहीं होना है । खुदद्टी खुदके लिये सहाय है । ऊँ नमः परमात्मने, ऊ नम छथुद्धाट्मने, ऊ नमो वीतरागाय, ऊ नमो निरब्जनाय, ऊ नमो सर्वोपद शिनादान समर्थाय ज्ञयकस्वरूपाय सच्चिदानन्दाय । २२ जनवरी १£४८ झ्रानन्द तो सदा है, तुम हो न चाही, उल्टे चलो तो इसका अपराध किसके दिर मडे । तुमद्टी श्रपनी सर्व परिणतिके जुम्मेदार हो । अनादिसे लेकर श्रच तक कितना काल चीता श्रौर श्रागे भी तो श्रनन्त काल वीतता रहेगा । इस वोच सार क्या विपयकपायके परिणाम ही हैं । प्रिय ऊवम छोडो श्रपने घ्रूव चेतन्य स्वभावकों देखो । श्रानन्द भ्रभी है नहीं, कुछ श्रौर प्रवृत्ति करनेसे श्रावेगा इस बातकों छोडों । श्रानन्द तो श्रभी भी भ्रानेकी प्रतीक्षा कर रहा है सदा सेवकसा खड़ा हुआ है; तुमही उसका निरादर करते चले जा रहे हो । देखो तिसपर थी श्रानर्द तुम्हारी हुझूरीमे खडा है । हे प्रभु ! सेवक पर इष्टि करो । वाह्म पदार्थ तो. कुछ भी तेरे नहीं है । उत्तमसे उत्तम, सुन्दरसे सुन्दर भी बाह्य पदार्थ हो सचेत न हो या शभ्रचेत न हो वह, तुम्हारे तो किसी काम झानेका ही नहीं । हा झाफुलताके काम विभावके फाम, पापके वाम, विकल्पके कास विपदाके काम जरूर श्रा सकता है निमित्तरूपसे । द डक जो श्राये सो्‌ का के ब श्रीर थी तो चितारो जो क्र मे रयक्त समस्त < योक कर नन्त सखमे दा डी जी मल सिमस्व दी स्त ढुसोका अन्त कर अनन्त सुख २३ जनवरी १६५४८ किसे देखना है ? कौन हित कर देगा ? चाह्ममे किसीकोभी नही देना है, श्राप बन्द कर झन्तरद्भुमे ही कुछ देखना है सो वह देयना भालखे चन्द करने पर द् कय 2० सरल पकराय कया पिन पेससय कण सरकार पिएं हलक शिया




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now