संत विनोद | Sant-vinod

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sant-vinod by लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain

Add Infomation AboutLaxmichandra jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सन्त-विनोद कै उम्र .किसीनें संत वायजीदसे पूछा--“'मापकी उम्र क्या है ?” आपने जवाब दिया--'चार साल । वह आदमी चुप हो गया । वायजीदने समझाया--'मेरी जिन्दगो के सत्तर साल ढुनियवी प्रपंचमें गुज़र गये । सिर्फ चार बरससे उस प्रभुकी तरफ देख रहा हूँ । जिन्दगीका जितना वक्‍त उसके नज़दौक वीता हैं वहीं जीवन-काल हूँ 1 सावधान ! सत हुसेनने एक वदमस्त शरात्रीसं कहा-- ' *भाई क़दम सँभाल-संभालकर रखो, वर्ना गिर जाओगे ।” 7 दारावी बोला--'मुझे क्या, माप अपनेको समझाइए । सब जानते हैं कि में पीता हूँ बोर वेख़बर भी हो जाता हूं। गिर जाऊँगा तो नहाकर साफ हो जाऊंगा । मगर कही गापके पैर डगमगाये तो आप कहीके नहीं रहेंगे 1' सुनकर हुसेन सावधघान हो गये । पक सस्त-विनोद




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now