सुशील कन्या | Sushil Kanya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छेटटी नर्नद ११
कि लम्बी वीमारी से बैल का शरीर ख़राब हो गया
होगा। पर शैल का देख उसे सन्ताष हुआ। माँ की
अनुपस्थिति में घर में जो कुछ हुआ था वह सब शेल
और विजया ने कह सुनाया । माँ ने विजया से पूछा
कि शैल ने तुम्हें हैरान ते नहीं किया । इसके उत्तर में
विजया ने शैल की बहुत बड़ाई की ।
थाड़े दिन वाद माँ का मालूम हो गया कि शेल बहुत
सुधर गई है और विजया पर बहुत प्रेम रखती है। विजया
के सम्बन्ध में शैल से जव कभी माँ पूछती तब वह उसके
अच्छा ही कहती । यह देख माँ ने पूछा--अरी शैल,
पहले ता तू भाभी को बुरा ही कहा करती थी और
मुझसे उसकी चुग़ली किया करती थी; अध तू उसी
प्रकार निन््दा क्यों नहीं करती ?
गेल वाली -माँ; पिछली वातों का जाने दे ।
अपने पिछले वत्ताव और लड़कपन के लिए अब मुझे
पश्चात्ताप होता हे ।
शब्दाध - लाइली--प्यारी । इंप्या--दंप, डा । नसक-सिल्चें
लगाना--वढा-चढाकर कहना । श्रकारण--व्यर्थ । मनारक्षक--
चित्त के छुभानेवाले |
परश्न--इस पाठ से कया शिक्षा मिलती है * विजया श्रौर शैल की
कथा सच्तेप में लिखो । ः
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