कहानी - एक कला | Kahani Ek Kala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)च कद्दानी क्या है १
प्रथसव' कद्दानी हो, द्वितीयत 'शाकार में वद्द यथासंभव छोटी
हो ओर ठतीयत कुछ ओर भी हो। केवल श्ाकार मे छोटी
होने ही से कोई कहानी कद्दानी कहने योग्य नद्दीं वन जाती ।
दमारे यहाँ श्रठारदद पुराणों मे, ईसाइयों के धर्मप्रंथ वाइबिल
आदि मे ऐसी कहानियाँ एकाघ नह्दीं, वरन् नेक हूं, जो आकार
;में चहुत छोटी हैं, फिर भी हम उन्हें कद्दानी की ाख्या नहीं दे
सकते । कद्दानी का जो तात्पये श्ञाये दिन लगाया जाता है;
रच इन सवों से परे है। उसकी कुछ ओर दी विशेषता है, उसके
(कुछ घ्नार दी लक्षण हैं, जो इनसे सवेधा भिन्न हू |
१. इस तरदद कद्दानी के दम दीन भेद कर सकते ह--उपाख्यान
झथवा 'ाख्यायिका, स्केच ( 5०७०! ) मोर कहानी श्रथवा
“जार सा ाख्यायिका्ओों के नमूने पुराणों 'ओर
् बाइविलों में भरे पड़े हूं भीर संभवत. उस
पे कोटि की कहानियों उनके श्लावे संसार में
वहुत 'धिक न्यत्र न मिलेंगी । हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में
1 नित्यप्रति जितनी कहानियों प्रकाशित हुआ करती हैं, उनमें प्राय
₹झाधी से अधिक कहानियों कद्दानियों नहीं, 'झपितु स्केच
एहैं। यथार्धतया जो गुण तथा चद्देश्य कहानियों में होने चाहिये,
[उनका उनमे अभाव पाया जाता है । इन दोनों, उपाख्यान
योर स्केच से परे स्थान है कहानो का । कद्दानी छोर स्केच
में बहुत 'ातर है ।
कहानियों में वणित घटनाएँ एक दूसरे से मिनन फरके
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