काबुली वाला तथा अन्य कहानियां | Kaabulivaalaa Tadaa Anth Kahaaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.48 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अपने भाइयों की तरह पुस्तकें पढ़े । किसी-किसी दिन वह श्रपते
में बठकर कोई किताब खोल लेती और बड़बड़ाती हुई पढ़ने की
ले किया करती, श्रौर एक के बाद एक पन्ना उलटती रहती । छापे
। काले-काले, छोट-छोट श्रपरिचित भ्रक्षर मानों किसी एक बड़ी
हस्यशाला के सिंहद्वार के सामने कतार में खड़े होकर 'इ' कार
पे कार की पाई उठाए पहरा ही दिया करते, गिरिबाला के किसी
इन का. वे कोई उत्तर नहीं देते । 'कथामाला' पुस्तक श्रपने दर,
र, घोड़े, गधे.इनमें से किसी एक की बात भी इस लड़की को
घरे'उसके मुह की श्रोर चुपचाप देखती रहती है
गिरिवाला ने श्रपते भाइयों से पढ़ना सीखने का प्रस्ताव किया
केत्तु भाइईयीं में उसकी बात पर तनिक॑ भी ध्यान नहीं दिया । .
केला शशिभूषण ही उसका सहायक थां।
जिस प्रकार 'कथामातला', “्रास्यान-मंजरी' गिरिबाला के लिए
उभेय गौर रहस्यपूर्ण थे, शुरू-शुरू में शिक्षण भी उसके लिए कुछ
कुछ वैसा ही था । रास्ते के किनारे, लोहे के सीखचों से घिरे छोटे
कमरे में, ढेर की ढेर पुस्तकों के बीच तख्त पर जब वह श्रकेला बठा
रहता था; तब सीखचों को पकड़े बाहर खड़ी गिरिवाला विस्मित
होकर इस कुबड़े-से बठकर पढ़ते हुए श्रदुभुत व्यक्ति को देखती थी।
पुस्तकों की संख्या की तुलना कर वह मन ही मन तय कर लेती कि
उसके. भाइयों की अपेक्षा शाशिभुषण बहुत ज़्यादा विद्वान है । इससे
प्रघिक श्राइचयं की बात उसके लिए कुछ भी नहीं थी । 'कथामाला'
गादिं संसार की मुख्य-मुख्य पाठ्य पुस्तकें शशिभुषण न जानें कब पढ़-.
के खत्म कर चुका होगा; इस विषय में उसे तनिक भी सन्देह नहीं था। -
इसलिए; जब शशिभुषण पुस्तक के पत्ने उल्तटता रहता, तब वह निश्च॒व
धनडी-खड़ी उसके ज्ञान की सीमा का श्रत्दाज़ा नहीं लगा पाती थी ।
भ्रत्त में एक दिन इस विस्मय-विभोर बालिका ने क्षीणहृष्टि
शिभूषण का ध्यान अपनी शोर ग्रारक्षित कर ही लिया। दाशिभुषण
1. एके दिन एक, चटकीली. जिल्दवाली किताब खोलकर गिरिवाला,
से कहा, “श्रा गिरिवाला, तुझे तसवीर दिखाऊं ।”. गिखिला फौ
४
User Reviews
No Reviews | Add Yours...