सिंधु सभ्यता | Sindhu Sabhyata

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sindhu Sabhyata  by संकटा प्रसाद - Sankata Prasad

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about संकटा प्रसाद - Sankata Prasad

Add Infomation AboutSankata Prasad

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
8 : सिंघु सम्यता पंजाब हड़प्पया--हड़प्पा मोण्टगोमरी जिले ( पाकिस्तान ) में इसी नाम के कस्बे से पंद्रह मील पदिचम-दक्षिण-पद्चिम में रावी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। आज यह नदी से लगभग साढ़े नौ किलोमीटर दूर है, किंतु सिंधु सम्यता के काल में यह नदी के तट से अधिक दूर न रहा होगा और वर्षा अधिक होने पर यह क्षेत्र अकसर बाढग्रस्त हो जाता रहा होगा । 1856 ई० में रेलवे लाइन बिछाने के लिए रोडी की आवदयकता हुई । जान ब्रंटन और विलियम ब्रटन को, भला रोड़ियों के लिए हूडप्या की ईटो से अच्छा और क्या साधन मिल सकता था । आज लगभग डेंढ सौ किलोमीटर की लम्बाई तक रेलगाड़ी इन प्राचीन ईटो की बनी रोडियो के ऊपर चलती है। वैसे इसके पहले भी आस-पास के निवासियों ने अज्ञात मात्रा में प्राचीन ईटो को खोद कर प्रयोग कर लिया था । लगातार इंटो के निकालने से इमारतों की रूपरेखा तो पहले ही बिगड चुकी थी, जो रूपरेखा बची वह रेलवें लाइन की रोडी बिछाने के लिए इंटे निकालने के कारण और भी नष्ट हो गई । हडप्पा के टीले के बारे मे प्रथम उल्लेख चार्ल्स मरसन ने 1826 में किया था । उसके बाद जनरल कनिघम 1853 ओर 1878 में इस टीले पर गये । उन्होने इस टीले से कुछ प्राचीन वस्तुएं उपलब्ध की और 1875 में कुछ मुद्राएं और अन्य उपकरणों को आवर्योलाजिकल सर्वे रिपोर्ट में छपवाया । 1912 में जे० एफ० फ्लीट ने भी ब्रिटिश सग्रहालय द्वारा उपलब्ध की गई सिंधु सभ्यता की कुछ वस्तुओ पर रायल एशियाटिक सोसायटी की पत्रिका में एक लेख लिखा ! किंतु कनिघम और फ्लीट इस स्थल के पुरातात्विक महत्त्व को भलीभाति नहीं भांक सके । 1921 मे जब सर जान मार्शल पुरातत्व विभाग के महानिदेशक थे, रायबहादुर दयाराम साहनी ने इसका पुनरन्वेषण किया और 1923-24 तथा 1924-25 मे खुदाई करवाई । इसके बाद 1926-27 से 1933-34 तक यहा पर माघो स्वरूप वत्स के निदेशन में उत्खनन हुए जिनकी रिपोर्ट वत्स ने दो जित्दो में छापी । इन उत्खननो से यह स्पष्ट हो गया कि हड़प्पा सिंधु सभ्यता का. अत्यत महान्‌ केद्र था । 1946 मे ह्वीलर ने फिर यहा उत्खनन किया जिससे महत्त्वपूर्ण नये तथ्यो की जानकारी प्राप्त हुई जिनमे एक टीले की पहिचान गढ़ी के रूप मे किया जाना विशेष उल्लेखनीय है । अनुमानत: मु रूप में यहां नगर 5 किलोमीटर के क्षेत्र मे बसा था । रोपड्--रोपड पंजाब में द्िवालिक पहाड़ी की उपत्यका मे स्थित है । यज्ञदत्त शर्मा के निर्देशन में इस स्थान की खोदाई 1953 से 1956 तक




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now