हिन्दी कुवलयानन्द | Hindi Kuwalyanand

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Hindi Kuwalyanand by डॉ भोला शंकर व्यास - Dr Bhola Shankar Vyas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ४. रने में दीक्षित ही प्रमुख कारण थे । अतः पंडितराज ने दीक्षित के उस व्यवहार का उत्तर दे गालियों से दिया है। कुछ भी हो, पंडितराज जैसे मदापंडित के लिए इस प्रकार की भाषा का हे प्रयोग करना ठीक है या नहीं; इस पर विद्वान्‌ ही निर्णय दे सकते हैं । अप्पय दीक्षित के विचारों का खण्डन एक दूसरे आंकारिक ने भी किया था--ये हैं भीमसेन दीक्षित । भीमसेन दीक्षित ने अपनी काव्यप्रकाद की टींका सुधासागर में बताया है कि उन्होंने “कुवछ्यानन्दखण्डन” नामक अन्थ की रचना की थी, जिसमें अप्पय दीक्षित के मर्तों का खण्डन रहा होगा । यह यन्थ उपलब्ध नहीं कुवलयानन्द पर दस टीकाओं का पता चलता हैं; जो निम्न हैं । इनमें तीन टीकार्ये प्रकाशित दो चुकी हैं । ( १५ रसिकरंजनीटी का--इसके लेखक गंगाधर वाजपेयी या गंगाघराध्वरी हैं। इसने अप्पय दीक्षित को अपने पितामदद के भाई का शुरु ( अस्मत्पितामहसदोदरदेशिकेंद्र ) कदा है। गंगाथर तंजौर के राजा शाह जी ( १६८४-१७१५ ई० ) के आश्रय में था । यह टीका हालास्य नाथ की टिप्पणी के साथ कुंभकोणम्‌ से सन्‌ १८९२ में प्रकाशित हुई है। कुवलयानन्द के पाठ... के छिए यह टीका प्रामाणिक मानी जाती है । कि व (२) चेद्यनाथ तत्सव्‌ कृत अलंकारचन्द्रिकाः--यदहद कुवलयानन्द पर प्रसिद्ध उपलब्ध. टीका है; जो कई वार छाप चुकी है। की ( ३) अलंकारदी पिकाः:--इसके रचयिता आशाधर हैं, जिनकी एक अन्य कृति 'त्रिवेणिका” प्रो बड़कनाथ दा्माँ के संपादन में प्रकाशित हो चुकी है । आशाधर की दीपिका टीका कुवलया- नन्द के केवल कारिका भाग पर है, आशाधर ने कुबलयानन्द के बृत्तिमाग तथा उदादरणों की व्याख्या नहीं की है 1 (४; ५.) अलंकारसुधा तथा. विषम पदुष्याख्यानषट्पदानंद :--ये दोनों टीकार्य प्रसिद्ध वेयाकरण नागोजी भट्ट की लिखी हैं, जिन्होंने काव्यप्रकाशप्रदीप, रसगंगाधर, रसमंजरी तथा रसतरंगिणी पर भी टीकायें लिखी हैं । पहली टीका है, दूसरी टीका में कुवलयानन्द के केवल... विषम ( जटिल ) पदों का व्याख्यान है । दोनों के उद्धरण स्टेन कोनो के केटलोग में मिलते हूं ।+ प्रायः इन दोनों टीकाओं को एक समझ लिया गया है । ( ६) काव्यमंजरी :<--इसके रचयिता न्यायवागीसा भट्टाचार्य थे। ( ७ ) मथुरानाथ कृत कुचलयानन्द्टी का क (८) छुवलयानन्दू रटिप्पण--इसके रचथिता कुरवीराम है, जिन्होंने विष्णुयुणादश तथा दशरूपक की भी टीका की है । (९ ) छष्वछंकारचन्द्रिका-इसके रचयिता देवीदत्त हैं। ... .. (१०) बुधरंजनी--इसके रचयिता बंगलसूरि हैं ।.यदद वस्तुतः चन्द्रालोक के अर्थांकार वाले पंचम मयूख की टीका है, जिसके साथ अप्पय दीक्षित के कुवलयानन्द की टीका भी की गई है ।




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