प्रगतिवादी शिक्षा में इंद्रिय शिक्षण विधि | Pragativadi Shiksha Men Indriy Shikshan Vidhi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : प्रगतिवादी शिक्षा में इंद्रिय शिक्षण विधि  - Pragativadi Shiksha Men Indriy Shikshan Vidhi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामखेलावन चौधरी - Ramkhelavan Chaudhary

Add Infomation AboutRamkhelavan Chaudhary

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्ब.. गा न ५ उल्टा हा ः कार्य सा साह्नता का गम हैं मा्श्था सार रचलास्मक कार्य, 'लान्यस्मिकता का अरकास अंग हैं । छत उतथ्या ल्मिकता की जाति में श्रम सहायक दोता हैं। इस विधि द्वारा शिछ्ा में कसकों को विशेष रूप से यद सममदया ज्ञाता दै कि आस्मोत्थान एवं जोत्थान के लिए श्रम करना आवश्यक है । (९) ज्ञानेंदियों की शिक्षा--फ्रोबेल ने बालकों की ह्ञानेन्दरियों को ठाभयस्त बनाने पर जोर दिया हे परन्तु ज्ञानेन्द्रियों का शिक्षण फेवक्त साधनमात्र है । इसका उदश्य प्रत्यय (002८6) ब्रिक्स में सदायता देता है । ज्ञानेन्द्रियों के शिक्षण पर बहुत अधिक नोर मेरिया माँ टेसरी ने दिया । इस संबंध में हम अन्यत्र विस्तार से लिखेंगे। (१०) शिक्षक का नया जर्थ-फ्रोबेल ने शिक्षक का एक न्प्या ये बताया है । शिक्षक और विद्यार्थी का वही संबंध दे, नो माज्नी और फोवे का होता है। जिस प्रकार माली, पौधे के स्ररभाव को अच्छी तरह समक-चूम कर, उसके लिए खाद और पानी की व्यवस्था करता है, उसो कर शिक्षक भी वालकों की प्रकृति का छाध्ययन करके, उनकी अएदश्यक- वां के अनुसार, उनके विकास में सद्दायता पहुँचाता है । उसके लिए ब्द अपने अस्तिप्य को बालक में विल्लीन कर देता है, तभी उसे बाल्लक की अन्तःम्रशत्तियों का पता लगता है। फिंडरगार्टन में अध्यापक या ही का बालकों से बड़ा हो मघुर, कोमल तथा स्नेहपूर्ण ब्यवज्वार करती हू ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now