भारतीय शिक्षा की सामायिक समस्याएँ | Bharatiya Shiksha Ki Samayik Samasyayen

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Bharatiya Shiksha Ki Samayik Samasyayen by राधावल्लभ उपाध्याय - Radhavallabh Upadhyayaरामखेलावन चौधरी - Ramkhelavan Chaudhary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अव्यापक-शिक्षा | ११ अनिवार्य विपय हैं और दो या तीन क्षेत्रों मे विशेष योग्यता प्राप्त करने के लिए प्रश्न- पत्र निर्धारित हैं। विशिष्टीकरण के क्षेत्र हैं -अध्यापर-शिक्षा, तुलनात्मक शिक्षा, मूल्यांकन, शैक्षिक प्रशासन और पाठ्यक्रम आदि । नैदान्तिक माग से पाँच प्रश्नपत्र पढ़ाये जाते हैं और व्यावद्वारिक भाग के अन्तर्गत एक शोध-योजना पूरी करके शोध- प्रवन्ध लिखना पड़ता है 1 २. चतुर्दपोय डिप्रो पाव्यक्रम --यह पहले बताया जा सुका है कि कुरक्षेत्र विश्वविद्यालय मे सर्वप्रथम इस याड्यक्रम को अपनाया और बाद में रीजनल वालेजों में इसी प्रकार का पाठ्यक्रम चालू हुआ | डा० गुलावचन्द चौरणिया ने (न्यू एरा इन टीचर एजुकेशन) में बताया है कि अध्यापक-शिक्षा से इस पादयक्रम से नथा मोड মাহা ই 1 ছল तीन लाभ बताये गये ह! एके, इसके द्वारा अध्यापक की सामान्य शिक्षा और ब्यावसायिक शिक्षा का सघटन हो जाता है । दूरारे, चार वर्षों तक अध्यापक « शिक्षा जारी रहने से व्यावहारिकं प्रशिक्षण अधिक प्राप्त होता है भऔौर वाल-अध्ययन, शिक्षण का प्रेक्षण, सामुदायिक अनुमव और शिक्षणाम्यास के अवसर अधिक मिलते हैं। तौसरे, अध्यापक-प्रशिक्षको को भावी अध्यापक को निर्देशन देने रहने भें आसानी द्वोती है, उन्हें अच्छे शिक्षक सिद्ध द्ोने बालो को प्रोत्साहन देने तथा असफल अध्यापकों को हृतोत्साहित करने भे सुविधा होती है । उद ्य--रीजनल षातेजो के सम्बन्ध मे प्रवाशित साहित्य भौर राजस्थान के रीजनल कालेज की विवरण-पन्रिका में कहीं भी चार वर्य के एस पादूयक्रम कै उदश्यो का उल्लेख महीं है । शरी देवेगोवदा {एकेन आफ टीचर्स एन शडिया, मपा० एस० एन० मुकर्जी) और डा० गुल्ाबचन्द चौरसिया (म्यू एरा इन टीचर एजुकेशन) जो रीजतल कालेज के प्रिस्रिपल रह चुके हैं कौर अमी भी हैं, के लेखों बेर आधार पर इस प्रकार की अध्यापक-शिक्षा के उह्ं श्यो का विश्लेषण हम कर रहे हैं १. अध्यापत-कला और अध्यापन-विषयों का एक साथ ज्ञान प्रदान करके सस्पूर्ण अध्यापक तैयार करना ताकि: भादी अध्यापक किसी प्रवार भी अध्यापत-कौशल ठथा पाठ्य-विषयों के लवीनतम ज्ञान की दृष्टिसे पिछट्ा न रह सके । २. अध्यापत-कला तथा पाद्य-विपथों के विशेषज्ञ विद्यानों का एक साथ समम करके प्रशिक्षण के उत्तमोत्तम अवसर प्रदान करना 1 अध्यापक-प्रशिक्षको को कालेज के बाहर घिक्षा सस्थाओं मे भेजकर तरोताडा रखना ताकि अध्यापक्र-शिक्षा का कार्यक्रम किसी भी दृष्टि से ५ पिच्डानरहै। ४. कालेजो के साथ एक आदर्श वहूदेशीय विद्यालय जोड़कर নে शिक्षण-विधियों की जाँच करने तथा नये-नये प्रयोग करने के अवसर प्रदान करना 1




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