राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज भाग - 2 | Rajasthan Men Hindi Ke Hastalikhit Granthon Ki Khoj Bhag - 2

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Rajasthan Men Hindi Ke Hastalikhit Granthon Ki Khoj Bhag - 2 by अगरचंद नाहटा - Agarchand Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना भारतीय वाशमय बहुत दी विशाल एवं विविघतापू्ण है । अध्यात्मप्रधान भारत में भौतिक विज्ञान ने भी जो आश्ययंजनक उन्नति की थी उसकी गवाही उपलब्ध प्राचीन साहित्य भली प्रकार से दे रहा है । यहाँ के मनीधषियों ने जीवनोपयोगी प्रत्येक विषय पर गंभीरता से विचार एवं अन्वेषण किया 'औऔर वे भावी जनता के लिये उसका निचोड़ ग्रन्थों के रूप में सुरक्षित कर गये । उस अमर वाडमय का शुणगान करके गोरवानुभूति करने मात्र का अब समय नहीं है । समय का तकाजा दै--उसे भली भाँति न्वेघण कर झीघ ही प्रकाद में लाया जाय । पर खेद के साथ लिखना पढ़ता है कि हमारे गुणी पूव॑जों की अनुपम एवं अनमोल धरोहर के हम सच्चे अधिकारी नहीं बन सके । हमारे उस 'झम्रतोपम वाउमय का अन्वेषण एवं अनुशीलन पाश्चात्य विद्वानों ने गत शताब्दी में जितनी तत्परता एवं उत्साह के साथ किया हमने उसके एकाधिकारी --ठेकेदार कहदलाने पर भी उसके दातांझ में भी नहीं किया, इससे ्धिक परिताप का विषय हो ही क्या सकता है ? जिन अनमोल ग्रन्थों को हमारे पृवेंज बड़ी आशा एवं उत्साह के साथ, हम उनके ज्ञानघन से लाभान्वित होते रहें--इसी पवित्र उद्देश्य से बड़े कठिन परिश्रम से रच एवं लिखकर हमें सौंप गये थे, हमने उन रत्नों को पहिचाना भह्दीं । वे नष्ट होते गये व होते जा रहे हैं तो भी उसकी भी सुधि तक नहीं ली ! किसी माई के लाल ने उसकी ओर नजर की तो वह उसे व्यथे का भार प्रतीत हुआ और कोड़ियों के मौल पराये हाथों सौंप दिया । सुधि नहीं लेने के कारण जल एवं उदेई ने उसका विनाश कर डाला । कई व्यक्तियों ने उन ग्रन्थों को फाड़फाड़ कर पुड़ियां बांध कर लेखे लगा दिया । कहना दोगा कि इनसे तो वे झच्छे रहे जिन्होंने त्प मूल्य में ही सद्दी बेच डाला, जिससे अधिकारी व्यक्ति ्याज भी उनसे लाभ उठा रहे हैं । जिन्होंने पैसा देकर खरीदा है वे उसे संभालेंगे तो सही । हमें तो पृषेजों के श्रम का मूल्य नहीं, पैस का मूल्य है, अतः बिना पैसे प्राप्त चीज को कदर भी केसे करत ? भारतीय सादित्य की विशेषता एवं उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए लाद्दोर निवासी पं० राधाकृष्णु के प्रस्ताव को सं० १८९८ में स्वीकार कर भारत सरकार ने




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