छूत - अछूत | Chhoot Achhot
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छूत-अछूत
पर्डितजी मेरे एक पांच सालका नाती है क्या उसे आपकेपास
पढ़नेके लिये छोड़ जाऊँ ?
गुरुजी उसकी यह बात सुनते ही कार्नोपर दाथ रखकर
बोले-ना भाई! इन ऊंची जातिके बालकोंके साथ बैठकर
तुम्ददाराद्रनाती कैसे पढ़ सकता है ? फिर उसे पढ़नेकी आवश्यकता!
ही क्या है ?बड़ा होकर तुम्हारी तरह उसे भी तो यहीं मेहनत-
मजदूरीका काम करना होगा !
गुरुजीकी यह नेक सलाह सुनके बेचारा बूढ़ा झपनासा मुंह
लेकर घर लौट 'झाया और वहाँकी सब बातें सुखियासे कह सुनाई ।
सुखिया बोली--बाबा घसीटूको लेकर में कल गुरुजीके पास
जाउँगी । मेरा घसीटू किसीसे भी कम साफ-सुधरा नहीं है। जो
उसके साथ बैठनेसे दूसरे लडकोंका कुछ बिगड़ जाय गा ।
दूसरे दिन बड़े उत्साहके साथ घसीटूकी झगुली पकड़कर
सुखिया परिडतजीकी पाठशालामे जा पहुंची, उस समय परिडत-
जी एक 'झासनपर बैठे ल्ड़कॉको पढ़ा रहे थे ।
सुखियाने दाथ जोड़कर गिड़गिड़ाके कहा--गुरुजी महाराज ।
मेरे इस घसीटूको भी अपनी पाठशाला मे बैठा लीजिये ।
पणि्डितजीने कुछ नरमीके साथ पूछा--तुम कोन हो ?
कहाँ रहती हो ?
खुखियाने उत्तर दिया,महाराज । मैं सुमेरन चमारकी लड़की
सात
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