द्वारका | Dwaraka
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हज नल
ट्वारका
सावड़िया सू. तपी. दारका री. धरती. उकछायी
लूवां. रा लपकां. सु सूकी सगठी श्री. बखरायी
नितकी श्री घनस्यांम सलूणां री वा. वाट. उडीकी
ताल-तढछायां... सुकी, . पाणी.. गयो... पताठां.. नीक॑
लता - बेलड़ी, . पूल - पानड़ा.. सगठा. थ्री . कुमछाया
बडा बडा बिरछां रा पत्ता पीछा. पड़. अव्साया
पलटण लागी प्रकृति पुराणी धरती ली अंगड़ायी
परवा. पुन चली. मस्तानी हथणी सी. भरमायी
बोलण लाग्या मोर, पप्पया “पीव” पुकारण लाग्या
चातकियां रा. वाछकिया भी धीरज धारण लाग्या
सूका - सका रूखां रा. भी. रूगटिया. करणाया
मीठे सुरां भींभरी बोली. भंवरा भी. भरणाया
धरती री. संताप मिट्यौ अब रुत्त बिरखा री ऑ्रायी
आस - उमंग, हरख - चावां री. नुवी. सनेसी ल्यायी
स्यांस - सुनरसा सरस सांवढा बादठ श्रार्भ छाया
तीस मिटावण ने पिरथी री नीर मंकठी ल्याया
पीतावंर उ्यू बिच-यिच बीजठ पढठ-पव्ठ पढका मारे
बगलां री , पंगत बैजती माठा री. छित्र धारे
घनस्पांम रे. .लेरां - लैरां. , आयी. बिरखा. रांगी
पून हिंडोठँ... बंठी . हीडे. होल - होठ. जांगी
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