श्री संवेग द्रुमकन्दली | Shri Samveg Drumakandali
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
221 KB
कुल पष्ठ :
32
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भू साथे भाषातर छ
झमायी करोधरूपी चादुने वत्ठात्कारे विलग्दों ज
करी नाखयों जोइएं
एप्यदुर्गति पातभीत इव य ऊुत्पा स्वय फम्पते
यद्गीतेरिग मासोणितरसः कायः परित्यज्यते ।
खानि्खंगणस्प निर्मऊगुणम्ठान्पेकफहेतुर्भन
शान्त्या हम्त रिरुकषता निजरिपु क्रोधो इसालीयतामुर
हे मन जे कोधने लइने माणस भपिप्यमा
धनी दुर्गतिमा पड़याथी ब्हीतो होय तेम कपी छठे
छे, जेना भयथी जागे च्हीता होय तेम मास तथा
रुधिरना रमो गरीरने छोटी दे छे, जे हु यना समूः
हनी साणरूप ठे अने जे निमेख शुणोने ग्टानि आप-
यामा सुस्य कारणरूप छे, तेया तारा कोघरूपी शतुने
हु क्षमा गुणवी पछात्कारे दिलसपो यनावी दे' ॥ ६॥।
५ जोधी माणस को बना आवशथी भ्रूजे छे तेना शरीरमा मास
तथा रुघिर शोपइ जाय छे ते दुख पाम छे अने तेना सारा
शुणों ढकाइं जाय छे, तेवो भावार्थ आ शोकमां उपजावेनों छे 1
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