ज्ञानगंगा | Gyanaganga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अ
अबल
अक्लते काम लिया तो आदमी संकटसे पार हो जाता है; बेवकफीसे काम
लिया तो अफतमे फँस जाता है । - योगवाशिष्ट
अकस्मात्
पहले एक बुनियादी बात बता हूँ कि ईश्वरके नजदीक इततिफाकनू,
अकस्माती तौरपर, कुछ नहीं होता । - लौंगफैछ़ो
अति
अति दानसे दरिद्रता और अति लोभसे तिरस्कार होता है । अति नाशका
कारण हैँ । इसछिए अतिसे सर्वदा दूर रहे । ( “अति सर्वत्र वर्जयेतू ) ।
- शुक्रवीति
अतिक्रम
जो सज्जनोका अतिक्रम करता हैं उसकी आयु, सम्पत्ति, यश, धर्म, पुण्य,
भाशिष, श्रेय ये सब नष्ट हो जाते है । - भागवत
अतिथि
ह/सच्ची मंत्रीका नियम यह है कि जानेवाठे मेहमानको जल्दी रुख़सत करो
और आनेवाढेका स्वागत करो । - होमर
अद्ढेत
हे अजुन, इस ज्ञानका आश्रय लेकर मेरे स्वरूपको प्राप्त कर लेनेवाले प्रलय-
से कभी नहीं घवराते । * श्रीकृष्ण
न
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