सनातन जैन धर्म | Sanatan Jain Dharm

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Sanatan Jain Dharm by चम्पतराय जैन - Champataray Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) च्ताझा पधिक अंश है, अधिस पायोन दोना चाहिये । इसी घात को मानकर यद कहा जाना है कि घायोन घर्मके विरोधर्म जैन घ्मे स्थापिव हुया श्रौर इस लिये इतको मूल घ्मे (परायीन दि स्टू घर्मे) की उद्दगड पु समस्तना चाहिये । जिससे उसकी घ- हुत गद्दी सडशता है । दुर्मायवश इस संरेघर्मे झोई चाहा प्रमाण उपलब्ध नहीं क्योंकि 'न तो कोई प्राचीन स्मारक ही और न कोई पतिदासिक चिन्ह ही मिलते हैं. जो इस प्रश्न पर प्रकाश डाल सके 1 इस बातका निशय केवल स्वपम दोनों घर्मी मे शा- स्त्रॉफी ध्ातरिरूं साक्षी से, विना किसी घाह्य सदायनाके दो फ- रभा है । श्रतः हम दोनों बर्नीक्ष सिद्धास्तों का साय साथ 'ध्य: यन करेंगे जिससे इम यह ज्ञान सकें किए दोनेंमिं _सधिफ पाचन कौन है ? प्रथम हिन्दू धर्मके ऊपर दृष्टि डालते हुये उसके शास्त्रों में चेद, बाह्मण, उपनिपद्‌ श्ौर पुराण शामिल हैं । इनमें चेद सब से प्रायोन हैं । दूसरा नम्बर प्राचीनतामें घाह्मण शास्त्रोंका है। उसके पश्चात्‌ क्रमते उपनिपदोंका सो सिर. सबसे अन्तरीं पुराणॉका है । सब वेद मो पर दी समयके निर्मित नहीं हैं। ऋग्वेद सबसे प्राचीन है । इस प्रसार दिन्दू मत उन धघर्मोमेंसे है जो सबय समय पर दूद्धि व उच्तिको प्राप्त दोते रहे है । यदद बात स्वयं अपनी सात्तों दैं, घौर 'इसस यह परिणाम ''क जैन पुराण वास्तव जेनमतकी 'अ री म प्राचीनताका सिद्ध करते हैं, छेकिन सुंकि वर्तमान इतिदुश्नदत्ता सिवाय इतिदासिक प्रन्थोंके आर झन्यों पर लविस्वावके साथ रृष्टिएत करता है इस कारण दम इस डेखपें उनका अमाण नीं टेंगे ॥




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