गोम्मटसार | Gommatsar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोम्मटसरः ।.. , थ
७५ इस गुणस्थानसे नरक, तियंगायुकी प्रथम व्युच्छिति भी होचुकी हे तथा इस युणस्थानमें किसी आ-
युका बंध होता भी नहीं इसलिये बाकीकी दो आयु और भी घट जानेसे बंधयोग्य ७४ दी रहती हैं ।
९४ गाधामें
६ तीसरे गुणस्थानमें जो बिना व्युच्छित्ति भी दो आयु बंघयोग्यताके अभाव होनेसे घटाई थीं वे दो
तथा एक तीर्थंकर इन तीनोंका बंध यहांसे होनेसे ३ संख्या ७४ में वढजाती है ।
७ नं० ६०-८१ बाली दो प्रकृतियोंका यहां ही बंध दोनेसे दोकी संख्या ५७ में और वढ जाती है ।
८ ने पेज्इ-इणनथ-७८-दउ-पेन्दनणइनणइनणणन इन ३-१३ रे १३७-१३४-११६
वाली सोलहोंकी यहां व्युन्छित्ति है । ९५ गाथा में ।
९ मेन ०-९० १-१९-१०-४३०४६-१४३े१३८-१३९-१४ ०-७० ४७-७६
उऊ--ढ रे इ-दण-८ दू-११९-११७-५०-१०९ वीं संख्यावाली पश्चीस प्रकृतियोंकी व्युच्छिति यहां
होती है । ९६ गाथामें
१० नें० श-२५-२६-२७-इ७-५१-५८-७९-८९-११० इन दशकी यहीं व्युच्छिति है ।
९० गाथामें
११ नं० २८-२९-३०-३१ वीं ये चार यहां ब्युल्छिन्न होती है । ९७ गाथामें
१९ नै १६-३८-३९-१३६-१३७-१४१ वीं छहोंक्री यहां व्युच्छित्ति है । ९८ गाधामें ।
१३ नं० ४८ वीं १ की यहां व्युच्छित्ति है । ९८ गाथामें ।
१६ लेन १३नकेइनदेदेनडे७न ले १३११३००११८-७-४१-६९-३९०८१-४९-८९४
७दे-५२-१११-१०० आदि-९ आदि-९३ आदि-८८ आदि-११९-११३-११४-११४-१९०-
१९१-१९९-१२३-१३४-१९४-१३६-१२७-१२८ वाली छत्तीसोंकी व्युच्छित्ति यहां होती दे । ९९-
१०० गाथामें ।
१७ ने० 2२-३३-३४-३५-४२३ वाली पांचोंकी व्युच्छित्ति यहां होती हैं । १०१ गाधामें ।
१६ ने १-२० इटछटटटटलफेबिरेपेटप छिप छ६नपइउ-पइ८-१२९ वाली सोल+
दोकी व्युच्छिति यहां होती है । १०१ गाथामें ।
१७ नं० १७ वीं एक प्रकृति यहां ब्युच्छिन्न होती है । १०२ गाधामें ।
१८ नें १८-१९-६०-८१-१३१ वाठी पांचोंके उदयकी यहां योग्यता नहीं होनेसे १९९ में घट
जाती है।
१९ प्रथम गुणस्थानमें पांचकी व्युच्छिति होनेसे तथा १०८ वीं की योग्यता न होनेसे यहां १११ का
उदय है। २६३ गाधामें
२० दूसरे गुणस्थानमें १११ का उदय था उनमेंसे ९ की वहां ही व्युच्छित्ति हो चुकी सो ९ के घ-
टानेसे तथा यद्यपि किसी भी आनुपूर्वीका यहां उदय नहीं है परंतु नारकानुपूर्वीकी व्युच्छिति पूरवेमें हो-
नेसे नहीं गिननेपर भी तीन आनुतूर्वीके घटानेसे ९९ रही । ९५९ में मिश्रका उदय होनेके कारण यहां ब-
ढानेसे १०० का उदय होता है । २६३ गाथामें ।
२१ ने १०८-११०-१११ वीं चारों आनुपूर्वकी तथा १८ वीं १ की यहां योग्यता होनेसे “५ बढ़ा
देनेपर १०४ का उदय होता है । २६३ गाथामें
२९ नं० ६०-८१ वीं दोकी पहिले योग्यता नहीं थी किंतु यहां ही है इसलिये ८ घटनेपर भी दो
बढानेसे ८१ का उदय रहता दे । २६३ गाथामें
२३ उपयुक्त १६ व्युच्छिन्नोंको ५.७ मेंसे घटानेपर ४१ होनी चाहिये परंतु जो १०७ वाली पहिले यो-
ग्यता न द्दोनेसे उदय संग्यामेंसे घटा दी थी उसकी यहां योग्यता होनेसे ४१ में बढादी जाती है ।
९६३ गाथधामें ।
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