गोम्मटसार | Gommatsar

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Gommatsar  by पं. मनोहरलाल - Pt. Manoharlal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गोम्मटसरः ।.. , थ ७५ इस गुणस्थानसे नरक, तियंगायुकी प्रथम व्युच्छिति भी होचुकी हे तथा इस युणस्थानमें किसी आ- युका बंध होता भी नहीं इसलिये बाकीकी दो आयु और भी घट जानेसे बंधयोग्य ७४ दी रहती हैं । ९४ गाधामें ६ तीसरे गुणस्थानमें जो बिना व्युच्छित्ति भी दो आयु बंघयोग्यताके अभाव होनेसे घटाई थीं वे दो तथा एक तीर्थंकर इन तीनोंका बंध यहांसे होनेसे ३ संख्या ७४ में वढजाती है । ७ नं० ६०-८१ बाली दो प्रकृतियोंका यहां ही बंध दोनेसे दोकी संख्या ५७ में और वढ जाती है । ८ ने पेज्इ-इणनथ-७८-दउ-पेन्दनणइनणइनणणन इन ३-१३ रे १३७-१३४-११६ वाली सोलहोंकी यहां व्युन्छित्ति है । ९५ गाथा में । ९ मेन ०-९० १-१९-१०-४३०४६-१४३े१३८-१३९-१४ ०-७० ४७-७६ उऊ--ढ रे इ-दण-८ दू-११९-११७-५०-१०९ वीं संख्यावाली पश्चीस प्रकृतियोंकी व्युच्छिति यहां होती है । ९६ गाथामें १० नें० श-२५-२६-२७-इ७-५१-५८-७९-८९-११० इन दशकी यहीं व्युच्छिति है । ९० गाथामें ११ नं० २८-२९-३०-३१ वीं ये चार यहां ब्युल्छिन्न होती है । ९७ गाथामें १९ नै १६-३८-३९-१३६-१३७-१४१ वीं छहोंक्री यहां व्युच्छित्ति है । ९८ गाधामें । १३ नं० ४८ वीं १ की यहां व्युच्छित्ति है । ९८ गाथामें । १६ लेन १३नकेइनदेदेनडे७न ले १३११३००११८-७-४१-६९-३९०८१-४९-८९४ ७दे-५२-१११-१०० आदि-९ आदि-९३ आदि-८८ आदि-११९-११३-११४-११४-१९०- १९१-१९९-१२३-१३४-१९४-१३६-१२७-१२८ वाली छत्तीसोंकी व्युच्छित्ति यहां होती दे । ९९- १०० गाथामें । १७ ने० 2२-३३-३४-३५-४२३ वाली पांचोंकी व्युच्छित्ति यहां होती हैं । १०१ गाधामें । १६ ने १-२० इटछटटटटलफेबिरेपेटप छिप छ६नपइउ-पइ८-१२९ वाली सोल+ दोकी व्युच्छिति यहां होती है । १०१ गाथामें । १७ नं० १७ वीं एक प्रकृति यहां ब्युच्छिन्न होती है । १०२ गाधामें । १८ नें १८-१९-६०-८१-१३१ वाठी पांचोंके उदयकी यहां योग्यता नहीं होनेसे १९९ में घट जाती है। १९ प्रथम गुणस्थानमें पांचकी व्युच्छिति होनेसे तथा १०८ वीं की योग्यता न होनेसे यहां १११ का उदय है। २६३ गाधामें २० दूसरे गुणस्थानमें १११ का उदय था उनमेंसे ९ की वहां ही व्युच्छित्ति हो चुकी सो ९ के घ- टानेसे तथा यद्यपि किसी भी आनुपूर्वीका यहां उदय नहीं है परंतु नारकानुपूर्वीकी व्युच्छिति पूरवेमें हो- नेसे नहीं गिननेपर भी तीन आनुतूर्वीके घटानेसे ९९ रही । ९५९ में मिश्रका उदय होनेके कारण यहां ब- ढानेसे १०० का उदय होता है । २६३ गाथामें । २१ ने १०८-११०-१११ वीं चारों आनुपूर्वकी तथा १८ वीं १ की यहां योग्यता होनेसे “५ बढ़ा देनेपर १०४ का उदय होता है । २६३ गाथामें २९ नं० ६०-८१ वीं दोकी पहिले योग्यता नहीं थी किंतु यहां ही है इसलिये ८ घटनेपर भी दो बढानेसे ८१ का उदय रहता दे । २६३ गाथामें २३ उपयुक्त १६ व्युच्छिन्नोंको ५.७ मेंसे घटानेपर ४१ होनी चाहिये परंतु जो १०७ वाली पहिले यो- ग्यता न द्दोनेसे उदय संग्यामेंसे घटा दी थी उसकी यहां योग्यता होनेसे ४१ में बढादी जाती है । ९६३ गाथधामें ।




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