खड़ीबोली के गौरव ग्रन्थ | Khadi Boli Ke Gourav - Granth

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Khadi Boli Ke Gourav - Granth by विश्वम्भर मानव - Vishwambhar Manav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७ ) जिन पुन ने उसके साथ शघ्रु का सा डु-्यंवहार किया, उसे चद शत में कप कर देता दै। विम्चसार शान्ति -प्रिंय व्यक्ति था । उसकी इत शमिल्ञापा को चाहे दम कोरी भावुकता कहें पर इससे लोक के प्रति उसको मल - कामना श्रोर सच्चो शान्ति का गज्ञा घोटने चाले सांसारिक चैमव की निस्सारता टपकती है-- “यदि में सम्राट न होकर किप्टी विनम्र लता के कोमज क्सिलयों के सुरमुद में एक शवखिला फूल होता श्र संसार को दृष्टि सुमपर न पढ़ती, पंचन की किसी लहर को सुरमित करके घीरे से उस थाले में चू पढ़ता, तो इतना भीपयण चोपकार इस विश्व में न मचता ।”” झजातशतु पक क्लूर राजकुमार था श्रौर एक उच्छद्लुत शासक लुभ्यक के समछौना न लाने पर चह उसे झूशाधघात करने को तैयार होता है । राज्य - लोलुपता ने उसे ऐसा झझन्या किया कि श्रौरकजेच की भाँति उसने पिता को उसके जीवनकाल में टी सिंहासन से च्युत कर दिया घोर उस पर ऐसा नियन्त्रण रखा जैप्ता एस चन्दो पर रखा जाता है। विमाता चासवी पर भी चद ब्कारण सन्देड करता है । प्रसेनजित की थाना से फाशी फी जा जय श्जात फो कर नहीं देती तत्र चद कदता दै, “शोदद शव समा में श्ाया । यद काशो को प्रजा का करड नहीं, इसमें दमारों जिमाता का व्यंग्य स्वर है।” तुरन्त हो वह परिपद्‌ू का ायोजन फरना है श्रौर चास यों पर नियन्त्रण रग्यने की श्रापा लेता है । फ्क बोर छुचना के सट्टेत पर घदद चलता दे दूखर) शोर देवदत्त शोर समुद्रइत जेंसे यथ-लोलुप चाठुफ़ार व्यक्ति उसे फुमति प्रदान करते रदते हैं। उससे प्रजा शसन्तुप्ट है '्ोर पिता भी 1 युर+ भूमि में भो उसने रण कोशल का परिचय नहीं दिया 1 फोशल- राज्य पए घारुपण फ्रने जाता है घोर बन्द हो जाता है। कोशक्ष




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