अभिनव प्राकृतिक चिकित्सा भाग 2 | Abhinav Prakritik Chikitsa Bhag-2
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.45 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आओपधिकी चविप-क्रिया श्१
लक्षण यदि किसी रोगीमं हों) तो उसी भीपधिसे उस रोगका निराकरण
होगा। बिपके सिवा और कोई चीज रोगका लक्षण नहीं पैदा करती 1
इसलिये इसकी सब औपधियां ही विप हैं । अनेक वार रोगके लक्षण समममें
नहीं आते भथवा एक. औपधिको बीसों वीमारियेंकि लक्षणोमें प्रयोग
करनेकी व्यवस्था है। जो लक्षण रोगीके दारीरमें नहीं है--तव यदि
होमियोपैथी-चिकित्सा-विज्ञान सत्य है--तो उस दवाके. प्रयोगते रोगीके
दारीरमें उसी रोगके लक्षण उत्पन्न होंगे । अतएव भूल चिकित्सासे रोगीका
चढ़ा अनिष होगा । कुछ लोग समसते हैं कि , गलत दवासे कोई बुराई
नहीं दोती, किन्तु यह वात ठीक नहीं । दोसियोपेंथी दर्शनके लेखक ढा०
केण्टने कहा है; “पक पर 15 000 ७0 एप) प$ छा 0116
७0. 1)]--जिससे रोग दूर हो सकता है उससे मनुष्य की सत्यु हो
सकती है।”
आजकल तो भखन्त साधारण लोग भी दोमियोपेथिक चिकित्सा करते हैं;
'फिन्दु इसके समान मुश्किठ और कोई चिकित्सा-प्रणाठी नहीं है। यह एलोपेंथीसे
कहीं अधिक मुड्किल है । इसमें रोगके लक्षण निश्चित करना जितना कठिन है;
औपधिकी मात्रा स्थिर करना और भी अधिक कठिन है ।. डा० हैनीमेंन
ने भी कहा है कि केवल अनुभवके द्वारा ही इसकी मात्रा स्थिर की जा सकती
है (07छु8ए०0०, 278). कई-कई दिनों वाद अन्त थोड़ी मात्रामें दवा
देना दी इस प्रणालीका नियम है। पर जो छोग जानकार नहीं हैं, वे
एलोपैथीकी तरह बारम्बार दवाइयेंका प्रयोग करते हैं । रोगीके छिये यह
एलोपैथीकी अपेक्षा अधिक हानिकर सिंद्ध होती है ( 1916; फ्6 9 ।
क्योंकि दोमियोपेथी दवाकी प्रत्येक दू'द विप है ।
इन दवाइयोंके अलावा वहुत-सी चलती दवाइयां ( 0070-0० ठा8:1.
श0९तेा 0065 ). बाजारमें प्रचलित हैं। इन दवाइयेंकि दोप-गुणकी
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