बप्पारावल | Bapparawal
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
327
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(२१. )
नहीं गिरती । सरदार ने वार बन्द किया । कोलाइल के साथ भीड़ आगे
बढी, पर सरदार ने सबको रोक दिया ।
बुद्ध मरने के पहले एक बार झपनी सारी शक्ति लगाकर पुनः चीख
उठा । किन्तु उसकी झावाज स्पष्ट सुनायी न पडी । कदाचित बूढा कुछ
ऐसा ही कह रहा था--“अत्याचार से अत्माचार का अन्त नहीं होता ।
मेल से मेल धाई नहीं जाती भगवान् से डरो । अपने शाप से ढरो । झागे
अ्ानि वाले इतिहास से डरो ।”
किन्तु बृद्ध की ध्वनि उस कोलाहल में जैसे खो सो गयी । किसी ने
कुछ ्यान नहीं दिया । नक्कार खाने मरे तूती की झ्ावाज का क्या
महत्व ? लोग पुनः प्रवेश द्वार की शोर आगे बढ़े, पर सरदार ने सबको
रोक दिया । भोड नियंत्रण के बाहर थी । हूँ के खेत में फगुनहट के
विद्रोही फोको को तरह भीड़ का रेला कुछ झ्रागे बढता और फिर
समाप्त हो जाता ।
सरदार ने केवल तीन साथियों को चुना और किले के बाहरी ऊेंचे
चद्ूतरे पर खठा होकर बोला --'मित्रो, इस प्रकार घबराने और कोलाइल
करने से कुछ लाभ न होगा । श्राप जहाँ हो, वही शान्ति से खडे रहिए ।
हम लोग झन्दर जाते हैं । राजकुमार का पता लगाते हैं । और जब तक
हम लौट कर न आये तब तक झाप चुपचाप खडं रदह्विएई--भगवान हमारा
कल्याण करें ।” इतना कहद कर सरदार चबूतरे से नीचे उतरने को हुआ,
किन्तु भीड चिज्लायी-'“हम झपने सरदार को अकेले अन्दर जाने
नहीं देंगे ।””
सरदार पुनः लौटा दर उसी प्रकार ऊँचे स्वर से बोला--झाप
विश्वास रखे । मैं अकेला नहीं हूँ। तीन साथी मेरे साथ है। मेरी
की मेरे साथ है। झापका झाशीर्वाद और परमात्मा की कृपा मेंरे
साथ है ।”
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