प्रेमचंद की रचनाओं का सामाजिक और राजनीतिक आयाम | Premchand Kii Rachnaaon Ka Samaajik & Rajniitik Aayaam

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Book Image : प्रेमचंद की रचनाओं का सामाजिक और राजनीतिक आयाम  - Premchand Kii Rachnaaon Ka Samaajik & Rajniitik Aayaam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| बन गया ।. सम्पूर्ण देश प्रका रान्तर से गाँधी का अनुगामी हो, राष्ट्रीय, अध्मिता की चिरन्तन धारा हू तम्मिलितहोने के लिए आकुल हो का। भारतीय जनमा नव हों जागत राबद्रीय भापना, आत्म पोस्थ की उभरती- ज्वाला की शा भित करने की दृष्टि से पवर्तिति रोलेट बिल” का गाँधी पिरोध, ताग होने पर उसको पनरस्त करने के लिए उनके सत्यागुह का उद्घीशर शुभ- सुचक घटना थी।. यघपि भारतीय नेताओं हैं रू सुविधा- मोगो वर्ग ने ँग्ल सत्ता वी. अनुकलता प्राप्त कर गाँधी के उद्धो छित तत्यागुह पर शक पुन चिन्ड लगाने की कुचेेठा अवश्य की, तथ पित जन- भावना द्वारा प्राप्त प्रबल सहयोग के परिणम स्वरूप लैम्पूर्ण देश में हिन्दू- म्तलमा नो के सम्मिलित तहयोग- सदूगावना से ८ अप्रैल 1919 को डडतान हुब। इस समय भारतीय जनता ने उपपात रखकर आत््महित रक्षाणार्थ इ३वर ते प्रार्धनाएं की।. जनाकुीश की करता पूर्वक असफन करने के लिस शान द्वारा अपनाये जाने पाने साधनों ने प्रतिकूल प्रिणति दी। |» पृप्त थी जो मक्छ ना दात- विंक्वत, दुलात्य से नेरा शय में पड रा«द्र की युग घिशसी चेतना पा कर तुभग-आशा- किरण-ज्यो ति-कर्मण्य की- गांधी-पुचेतना धा र-त्नेठ-करूणा का, अपधिरत, गचघि वरूणा का, मा नव हुदय-अनुराग-त्पन्दन का विधती वुलोक - पीड़ित - सत्ता - अधिवन्दन जो, कर ऊा छृँध - ता, निर्मप था पुष्टि - पथ, राध्ट्रीय अभिव्यक्ति की ना बम कीर्ति - सेतु: शिवकर त्रिपाजी/पृथ्ठ 63




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