मध्य देशीय भाषा | Madhya Deshiya Bhasha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुसलमान छोर मध्यदेशीय भाषा ६-४० बोली श्र भाषा--हित्दी के प्रारम्भिक केन्द्र-खुसरो का हिन्दी-स्तवन--सुल्लादाऊद के “चन्दावन' की भाषा--दण्डी के झ्राभीरादि--युजर श्र तुगलक-उदखिनी का रूप-- भाषा या गुजरी बोली--भाषा श्रौर दक्षिण--हिन्दुई भाषा, हिन्दवी या हिन्दी--दखिनी-- हिन्दी, स्रायंभाषा तथा नागरी । रवालियरी और न्रज भाषा ४१--दिऊ ग्वालियरी भ्रौर ब्रज एक ही भापा के दो नाम--पाडे जी का मत--पाडे जी द्वारा प्राप्त परिणाम--वार्ता का ब्रजमडल--मथुरा मडल श्रौर हिन्दी--ब्रज बोली--पुरुषोत्तम भाषा--ब्रज बोली की वृन्दावन में स्थापना--ब्रज बोली से ब्रज भाषा--भावावेश का परिणाम--ज्जभाषा नाम श्ौर दक्षिण--विद्रोही बुन्देलखण्ड--केशवदास की नरभाषा-- गोपालों का गोपगिरि--ग्वालियरी का तन-मन-घन संकल्प । हिन्दी गेय साहित्य का मूल दृद-प६ सगीत श्रौर भाषा--ग्रपश्नदा श्रौर सगीत--सिद्ध भ्रौर नाथ--जयदेव--पाइवंदेव श्रौर मध्यदेशीय संगीत -मध्यदेश- चौदहवी शाताब्दी--मध्यदेश-पन्द्रहवी दताब्दी --भारतीय सगीत पर ईरान का भ्राक्रमण--ग्वालियर की सगीत को देन - हिन्दी की पद रचना को सगीत मे सास्यता--श्रू पद के पदो का रूप--- ग्वालियर. का... पद-साहित्य-- विष्णुदास - कबीर श्रौर विष्णुदास--सस्कृत शब्दों को प्रयोग क्यो--धर्मे का भाषा पर प्रभाव--कबीर की भाषा->बैजू श्रौर बख्यू--ग्वालियरी सगीत श्र पद-साहित्य का विकेन्द्रीकरण --मुगल दरबार श्रौर ग्वालियरी सगीत--तानसेन--तानसेन का प्रारम्भिक जीवन-- हरिदास की डागुर वाणी--सूरदास का सगीत श्ौर पद- साहित्य--ग्वालियरी भाषा ग्वालियरी सगीत की देन । कर ० श्र




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