आशापर्व | Asha Parva
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)त्राठ
दामिनि कमक उठी होगी
त्रम्बर की श्याम-दटा पर ;
युगल नयन भी नीरव बरसे
होंगे उसी. घटा. भर ॥
चले जा रहे होंगे तुम
रो दूर देश के वासी |
चली रात भी, चले मेघ भी ;
चलने... के. आ्रम्यासी ।
दूर देश की. बिछुड़न
बनती होगी सजल कहानी ।
कभी मिलन बन गई
न जाने क्यों राहें श्रनजानी ।
शैन बसेरा पल भर का फिर
चल ही. दिये, बटोही !
भोली कलियों को काँटों की
त्रोट किये, निर्मोष्टी !
जगा न भोर,न कलियाँ विहूंसी
मूदुल समीर न. डोली |
गीत दिये सो भी पूर्ण ;
मर सकी न निधन भोली |
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