मानवता का मंगल प्रभात | Manavata Ka Mangal Prabhat
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
672 KB
कुल पष्ठ :
62
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(३)
-- जढ छान कर पीनें का प्रमाण --
दृष्टि पू्त न्पसेत्पाद यस्त्र परत पिवजतठ ।
झाखर पृत यदद्ाक्य मन पूत समाचरंतु ॥!
रिट्ठ पुराण ने ४.
अच-उमाग चछते हुए दू कर चरना चाहिए, जल या पय
पदाथ यख्र से ठान कर पीना चानिए बचत शास्प्राघुसार प्रमाणिक
पोलना चाहिए ओर मन का युद्ध कर आचरण बरनां चाहिए ।
दृष्टि पूत न्यसे पाद बख पूत जल पिच ।
सत्य पूता यद द्वाच मन पूत समाचरंत् ॥।
मनुस्सति जन. टावे ४
अधनभमि पर रख कर पाय रखें, पानी वस्द स छान पर पीया
करें, सत्य पचन ही का वोल' और मन का शुद्ध कर ( इन्डा गदिस )
आचरण वरना चाहिए।
जल को क्या द्वानना चाहिए --
सकष्मानि जन्तूनि जलाश्रयाणि ।
जलम्य यणाकृति संस्थितानि ॥
तम्माजनल लीयदया निमित्त |
नि्य्श्ग पर्पिर्ययन्ति 0
भागवत पुराण
अध६ नजर के आश्रय से सम चतु रहत है, उनका वण ये आकार
जल के समान हाता दै, इसरिए जीयतया के लिए तत्यज्ञानी पुरुप
जल का भी त्याग करते ढ ( अयान् निचल रपयास करत है ) अयरा
पिना छामा हुआ जर नहीं पीत ढ |
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