जैन धर्म बिषयिक प्रश्नोत्तर | Jain Dharm Bishayak Prashnotar

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Jain Dharm Bishayak Prashnotar by आत्मानन्द - Aatmanand

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रे आत्माका निर्वाण कब होतादे अरु पिछें तिसकों कोन कहाँ छे जातृहै.. ९६-९७-९८-९९ अभव्य जीवका निर्वाण नहीं अर मोपपार्ग वध नहीं १००० १-१०४ आत्पाका अमरप्णां अर तिमका कर्ता ईश्वर नहीं, * १० ३-१०४-१०५-१७६ जीवकों पुनर्भन्म क्यों होताहै अर त्सके बघ दोनेमें क्या इठाजई १०७-१०८ आरमाका कल्पाण तीर्यकर भगवान होने 'विपयक ब्यान १०९-९१२० जिन पूजाका फछ किस रीतिमें होताई तिस विपयक समाधान ११३ पुण्य पापको फल देनिवाला ईश्वर नहीं किंतु कम ११९-११३-११४-११५७-११६-११७-र१८ जगत अकृतिपटे ११९ जिन मतिमाकी पूजा विपयक ब्यान, 9०-१३ र-१०२-१९६३ देव अरू देवोंका भेद सम्यकत्त्री देवताकी साधु थावक भक्ति करे, छमाछम कर्मके उद्यम देवता निमित्तहे.. १२४-१२५-१२६-१२७ संप्रतिराजा अरू तिसके कार्य श२८-१९९, लब्थि अर बाकि श३०-१३१-१९३२-१३३-१३७ ईश्वर॒की मूत्ति दर १३९




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