दो बहनें | Do Bahne
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore
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रामनाथ सुमन - Ramnath Suman
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इच्छा होते ही उसे छोड़ा जा सकता है। श्रौर कुछ न हो, स्त्री. का
ऋण तो उसे चुकाना ही पड़ेगा ; उसके बाद कहीं सुस्थ होकर धीरे+ :
धीरे चलने का समय शझ्राएगा.। बाएं हाथ में रिस्ट-वाच, सिर पर
सोला हुँ, ग्रास्तीन चढ़ाएं हुए, खाकी,पैँट पर चमड़े की कमर-पेटी
पांव में मोटे सोल के जूते भर श्रांखों पर धूप का रंगीन चदमा चढ़ा-
कर शश्ांक काम में जुट गया । स्त्री का ऋण पुरा होने पर झा गया.
है फिर भी वह स्टीम कम करना नहीं चाहता; इस समय उसका मन
गमं हो उठा है ।
इससे पहले घर-गृहस्थी के आय-व्यय की घारा एक ही नाले
बहती थी ; अब उसकी दो शाखाएं हो गई । एक बैंक की श्रोर गई ;
दूसरी घर की श्रोर । शर्मिला को पहले जितना ही घन सिलता है ; -
वहां किसका क्या देना-पावना है, इससे दाशांक को कुछ मतलब नहीं ।
इसी प्रकार व्यवसाय-सम्बन्दी चमड़े की जिल्दवाला खाता सरमिला के
लिए दुर्गम किले जैसा है । इससे कोई हानि नहीं किन्तु स्वामी के
व्यावसायिक जीवन का रास्ता दामिला की घर-गुहस्थी के इलाके के
वाहर हो जाने के कारण उस श्रोर से उसके विधि-विधान की उपेक्षा
होने लगी । वह विनय करती, “इतनी ज्यादती मत करो, दारीर
टूट जाएगा ।” परन्तु कोई फल नहीं होता । श्राइचयें तो यह है कि
तचीयत भी नहीं खराब होती । स्वास्थ्य के लिए उद्देग, विश्वाम के
अ्रसाव पर श्राक्षेप, आराम के साथ खाने-पीने, सोने-उठने की श्रोर
ध्यान न देने पर भुंकलाहट इत्यादि दाम्पत्य की सभी उत्कंठाओओं की
उपेक्षा करके शद्मांक तड़के ही श्रपनी संँकेंडहैंड फोर्ड गाड़ी लेकर
निकल जाता है; दो-ढाई बजे काम पर से लौटकर श्राता है श्रौर जल्दी-
जल्दी कुछ खाकर फिर चला जाता है ।
एक दिन उसकी मोटरगाड़ी किसी श्ौर गाड़ी से भिड़ गई।
खुद तो बच गया पर गाड़ी को काफी क्षति पहुंची । मरम्मत के लिए
भेज दी । शमिला वहुत चिन्तित हो उठी । रुघे गले से बोली, “”
तुम स्वयं गाड़ी नहीं हांक सकोगे ।”
श्दे
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