भारत और विश्व | Bharat Aur Vishwa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
332
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शहात्मा बुद्ध ओर उनका सन्देश : १ ७
को अपनाने का उपदेश दिया है। सासूचेत ने इसे इस प्रकार कहा
है: तुम्हारे थालों ने बा बिगाड़ा है ? अपने पापों का मुण्डन करों ।
(जराका' मन दूषित है, भगवा बस्तर उसका कया हित कर राकता
है
केला: कि अपराध्यन्ति बजेशानां सुण्डनं फुर
रावसासस्य चित्तस्थ काषाय: कि. प्रयोजनसू ।
पुद्ध को सनुष्य के पाप की अपेक्षा उसके दुःख का ज्यादा खयाल
था । यह स्वीकार करके कि भ्रत्येक व्यवित अहृत््त या बुद्धत्व प्राप्त
कर सकता है, बोद्ध-धर्म ने व्यक्ति की आत्मा को अत्यधिक मूल्य
प्रदान किया हूं। सानवीय आत्मा का मूत्य ही सारी सभ्यता का
आधार है और वही इस दुःख से पीड़ित संसार की आशा है ।
आज हमारा जीवन युद्ध की. विभीषिका से रत है। ऐसा
प्रतीष होता है कि हुग एक आने वाले भयानक संकट के वातावरण
में रहे रहे है, जिसका फल नबेरता की पुनरावृत्ति हो सकता है, जो
एन गये अन्भकार के मुग का रूजपात कर सकता हूँ, जिसमें आध्या-
स्सिकता का बिंस्कुल छोप हो जायेगा और विज्ञान की उपलब्धियां
तथा संस्कृति वो वरदान बिंस्कुल नष्ट हो जायेंगे । आज हमें प्रेंम की,
भावना की, समझदारी भर सहानुभूति की आवश्यकता हू जिनसे
मे चारों ओर से घिरने वाले अम्थकार को मिटा सकें। केले
छग्हीं से उन लोगों को जिनका जीवन उदुदेश्यह्वीन हो गया हैं, जीने
की प्रेरणा मिल सकती है, पाहस करने के लिए हेतु और काम करने
को लिए पथ-घदमक सिर सकता है
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