चिड़ियाघर | Chidiyaghar

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Chidiyaghar by हरीशंकर शर्मा - Harishankar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आचार्यों की दृष्टि में “चिड़ियाघर' आचार्य श्री महावीरप्रसाद द्विवेदी “चिडियाघर' के लेख पढ़े । बडा मनोरंजन हुमा । गज़ब का व्यंग्य मिला । बडी गहरी चुटक्याँ ली गयी हैं। श्रतेक हृष्टियो से पुस्तक अनमोल है । उपन्यास-सम्राटू श्री प्रेमचन्दजी “चिडियाघर' की सैर करने में खूब हँसी आ्राई। कही-कही तो गिरते- गिरते बचा । “लीडर-लीला' की तारीफ तो पहले भी कई दफा सुन चुका था, पर यहाँ इसे आँखों देख लिया । श्रब इस जन्तु को ज़रा देखुं कि पहचान सकता हूँ। “प्रकटीकल परमाथं निराली चीज़ है । सारा 'चिड्या- 'घर' ऐसी ही श्रावाज़ो से गूंज रहा है । देखिये श्रौर हंसिये । हरिशकरजी व्यंग्य और हास्य के झाचाय्यं हैं, यह मानना पडता है । श्रगर दिन काटे स कटता हो या कास करते-करते मन थक गया हो तो इस “चिडियाघर' में चले श्राइए, दस-बीस कहकहे झ्ाएँगे और श्राप तरोताज़ा होकर फिर अपने काम में मसरूफ हो जायेंगे । महामहोपाध्याय श्री प० गौरीशड्ुर हीराचन्द का “चिडियाघर' पढ़कर बडा श्रानन्द श्राया । हरिशकरणजी के निवस्थ मुझे बहुत पसन्द हैं । में तो उन्हे उत्कृष्ट श्राददां मानता हूँ । सम्पादकाचार्य्य श्री प० भ्रम्बिकाप्रसाद वाजपेयी 'चिडियाघर' श्रपने ढंग की निराली चीज है । इससे मनोरजन तो होता ही है, पर कुवासना नहीं उत्पन्न होती । भाषा की दृष्टि से यह “चिडियाघर' बडे महत्व का है। जिसे श्रच्छी भाषा सीखनी हो, वह श्रव॒द्य इसे पढे । इससे भ्रावाल वृद्ध, वनिता सबका सनोर॑जन होता है ।




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