इक्कीस बांग्ला कहानियाँ | Ikkees Bangla Kahaniyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
255
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)माखिरी बात॑ 5
“हुंसता क्यों है?”
सआपकी वात सुनकर हस रहा हूं । लाठी-वर्छी तो हम पकड़ते ही नहीं हैं ।”
“तो फिर रोकोगे कंसे ?”
सउनके आने पर हम अपनी पीठ बिछा देंगे । कहेंगे, लो, सारों लाठी । छाती
आगे कर देंगे। चलागी बर्छी हम पर । हमारा खून बहेगा । मिट्टी लाल हो
सठेगी । हम मरेंगे । तब उन लोगों को अवल आएगी । छाती दुख से टनटनाएगी ।
आंखों में आँसू भर आएंगे! भगवान उनमें ज्ञान जगाएगा । वे जलाकर लौट
जाएंगे
नाएव हा-हा कर हुस पडा । बोला, यही है चुम्हहरी अक्त ?””
बूढ़ा ताज्जुब मे पढ़ गया । वह बिल्कुल भी नहीं सहमा । उसके दत-विहीन
घेहरे पर वचकानी हसी खिल उठी । बोला, “होता है । ऐसा ही होता है । मेरे
मन ने भगवान से पूछा । भगवान सब समझ गये । आप लोगों का दिल भगवान
से कुछ नहीं पृछता न । नहीं तो आप भी मेरी बात समझ सकते 1”
जैसा देवता, वंसी ही उसकी देवी । बूढे की बूढ़ी मानी सनके की सनकी थी ।
सारी वात सुनकर बहू भी चिंता मे पड़ गयी । बूढ़े की तरह उसे भी साहू के
नाएब के लिए चिता हो रही थी । “ए बूढ़े, यह तो बिलकुल ही सीधी सी
बात है । कया मालूम वे लोग समभकते क्यो नहीं ? ”'
यही तो वात है बुढ़िया 1”
अब कया होगा ? तुम कया करोगे ?”
गमैं ?” बहुत सोचकर बूढ़ा बोला । हा बात कुछ तो बनी है ।''
गवया है
“मैं मरूगा ।
गप्मरोगे 7”
हां, में मरूगा । अगर मैं मर गया तब उन लोगो ' के मन में दुख होगा ।
भगवान उन्हें बकल देंगे । तब हमारी बात वे ठीक-ठीक समक पाएंगे 7”
बूढ़ी थोड़ी देर तक सोचती रही । सोचकर खुद हो उठी । हंसकर सिर
हिलाकर बोली-- “तुम ठीक कह रहें हो ।”
“ठीक कह रहा हूं न 7” बूढे ने हुंसकर बुढ़िया की त्तरफ देखा ।
“हां, चुम ऐसा ही करो । मरो । मर कर उन लोगों को समभा दो ।”
बाहर से रतनलाल ने पुकारा--“चाचा”
“भा बेंटा था ।” बूढ़े लाल मोहन का चेहरा खुशी से भर गया ।
रतन लाल इंसता हुआ आकर खड़ा हुआ । बोला, “सब लोग बाहर खड़े हैं
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