भारत का बृहत् इतिहास खंड 3 | Bharat Ka Vrahat Itihas Khand 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36.17 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आधुवक भार |] परिवर्तन की परीक्षा ते
फेल: वाइसराय को उतनी कार्य स्वव्त्रता से रह गई जितनी गवनर-जनरल को
मास थी | र
कया परिचर्तन अएचारिक (एण्ड) था ऐ-सर एच० एस० कनिघम
के विचार में कम्पनी से सप्राद तथा पार्शियासेण्ट को प्रशुवकशन्हि का हस्ताम्तरण केवल
श्रीपचारिक था वास्तविक नहीं । के चेंघम का यह कथन सबया सत्य प्रतात दाता ह कयाफरि
यह परिंवतन आकारिक था. तारिक नठा। चास्तव में १८५८ के बहुत रब हा वास्तविक
सक्ति नियन्त्रण समिति (छत एफ 0 (0 3 के झाध्य तू के हाथ मं चलो गद था चोर
संचालक लाग परामशदपता की कोरि में आरा गये थे । कांयनी के काया से पालिंयामेण्ट को
सथम हुस्न तप १०७३ रु में रेग्यू ते दंग गुक्ट द्वारा ्ारम्म हु था। इसके उपरान्त
पालियामेंर का हस्तत्षेप उत्चरोत्तर बढ़ता गया आर कापनी के विकारों सें ऋमागत कभी
होती ग.। सलाद तथा पालियामेशट के हाथ में करा! रा दस्तास्तरित डाता गा यह
क्रम-गिरस्तर चलता रहा और १८०८ में इसको पूर्णाहुति हों गद 1
रेयूजेटिक ऐवट के उपरास्त दूसरा डस्त कप १७८३ «० में पिंद्स इण्डिया ऐवट द्वारा
हुआ । सा ऐक्ट से नियस्त्रण को संचालक समिति हु0०५८६ ए 1311 6ठा.018) सच
सन्नादू द्वारा नियुक्त नियन्त्रण समिति (8 »। ८ छ००७१०1) में पिमक कर दिंग्रा
गया । इुस प्रकार कम्पनी की शक्ति को एक दूसरी ठंस लगी ।
१७६३ इ० मे कांयसी को जब नया चाटर प्रदान फिपा गया तब यह निधारित किंपा
गया कि बापिक आय-ध्यय का ब्यौरा पालियामेंरट के समक्ष उपस्यित किया जाय! दस
प्रकार सब्रादू का नियस्त्श कंपनी पर पढ़िग से अधिक बढ़ गया। कापनो का
ब्यवस/चिक एक/बिकार सा घारे-घारे घटने लगा और कुछ अगर जा का कुछ सामित अंग
में भारत से ब्यापार करने क्री आशा सिस गद 1
१८१३ के चादर ऐक्ट द्वारा भारत के ब्यापार का द्वार सबके लिये खोल दिया गया
परन्तु वैधानिक दृष्टिकोण से इस सुकट का एक बहुत बड़ा महत्व यह हे कि इसमे कम्पनी
के 'अधिकत प्रदेश पर सन्नादू की प्रभुस्व-शक्ति स्थापित कर दी ।
१८३३ के चार ऐक्ट द्वारा कंपनी की शक्ति पढ़िंजे से भी कम कर दी गई और सम्रादू
के नियन्त्रण में अपेक्षाकृत चूद्धि हो गद। यद्यपि कापनी को ९० चघर्प के लिये सारत-भूमि
* पर सपना अधिकार रखने का आज दे दी गद् परन्डु अब बह इसे सम्नादू लंधा उसके
चंशर्जा एवं उत्तराधिकारियों को घराहर के रूप से रव्वेगी । अब कंपनी को अपना ब्यले
सापिक कार्य समाप्त का देना पड़ा आर इस मे शासन सनन्वों कार्यो' की संचालन नियं-
स्रण समिति के नियन्त्रण में जो पालियामेणद का प्रतिनिधित्व करेंगो संचालन समिति
छ्वारा होगा 1
प८ण३ के चार्ट ऐंक्ट में कापनी पर अन्तिम घातक प्रहार किंया। इस ऐक्ट द्वारों
कम्पनी को चार्टर तो मिला परन्तु किसी निश्चित समय के लिये नहीं । इससे यही निंष्कष
निकलता है किं का्यनी के अस्तिस्व को किसो मो समय समाप्त करके मारत की राजसंत्ता
'संन्नार तथा प्रार्लियासेरट को इस्तास्तरिंत को जा सकती थी। इस पुंकट द्वारा कुछ भन्य
ऐसे परिवसन किये गये जिसमे सं चालक, के अधिकारी सें कमी हो गड़ू। संचालक की
संख्या र४ से घटा कर १८ कर दी गए जिंतमें से द की नियुक्ति सन्नादू करेगा। १८५
के ऐंक्ट द्वारा सिविल स बेस में अतियोगिता की परीक्षा द्वारा नियुक्ति की आयोजन की
, ,गई। द् इसे ससालकी के निधुक्ति सॉबन्धीं अधिकार पर भी बहुत बढ़ा श्राघात लेगा ।.' ,
' नियस्त्रण' ससिंति' के माध्यम द्वारा सब्राद को भारतीय शास' में मिशेप्रात्मक अधिकार 7;
' झा हो गया था । मरत का रॉसित, सम्नोद तैया पार्लेसांमेगट' द्वारा बनाये हुँये निंवमों ० ।
'. ! के श्रहसार से चालिंत होता था | सारत का बड़े से बड़ा: पदार्सिकारी/ नामन्मात के लिये:
कक
ही
्ं ची
1 2 कै.
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