स्वामी चिदेयानंद- एक परिचय | swami Chideyanand - ek parichay
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.24 MB
कुल पष्ठ :
219
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आपके अन्दर का ईदवरव्व आपके .बाहर की वस्तुओं से अधिक
शक्तिशाली है, अतः किसी भी वस्तु से भय न कीजिये । अपनी
अन्तरात्मा पर ही निर्भर रहिये । अन्तहं ष्ट द्वारा मुल से शक्ति पाइये।
त्याग के बिना आप कदापि सुखी नहीं हो सकते । त्याग के बिना
आप कभी विश्राम नहीं कर सकते । अतः सब कुछ त्याग डासिये ।
सुख पर अपना अधिकार जमाइये । त्याग को ही सर्वश्रेष्ठ सानिये ।
अपना सुधार कीजिये । चरित्र का निर्माण कीजिये । हुंदय को
शुद्ध बनाइये । वृत्तियों को शान्त कीजिये । उफनते आवेगों को स्तब्ध
कीजिये ! वहिमुख इच्द्रियों को समेट लीजिये । वासनाओं को नष्ट
कीजिये । आप गम्भीर ध्यान में सहिमामय आत्मा के दर्शन करेंगे ।
पुर्ण स्वतन्त्रता तथा निर्वाण की प्राप्ति के पांच साधन हैं । इनसे
ही परम सुख की प्राप्ति होती हैं । यह है सत्संग, विवेक, वैराग्य, मैं
कौन हूँ ?' का विचार तथा ध्यान । ये ही स्वर्ग हैं, ये ही धर्म हैं, ये ही
सर्वोच्च सुख हैं ।
पहले भला बनिये तब इन्द्रियों का दमन कीजिये, तब सिम्न सन
को उच्च सन से पराजित कीजिये, तब ईश्वरीय ज्योति का अवततरण
होगा ।
बिना जल्दबाजी किये शास्तिपुरवेक, संलग्नतायुवक ध्यान का
अभ्यास कीजिये । आप शीघ्र ही समाधि प्राप्त कर लेंगे ।
आध्यात्मिक जीवन कठिन तथा श्रमयुक्त है । इसके लिए सतत
सावधानी त्तथा उत्साह की आवश्यकता है । तभी ठोस उन्नति
सम्भव है ।
आपने स्वयं ही अज्ञानवश बन्दीगृहू की दीवारें अपने लिए खड़ी
की हूँ। आप विवेक तथा 'में कौन हूँ ?” के विचार द्वारा इन दीवार
को ध्वस्त कर सकते हैं ।
कष्ट आदमी को शुद्ध बनाते हैं । वे पाप तथा मल को जला डालते
हैं । ईश्वरतव अधिकाधिक प्रकट होते लगता है । उससे आन्तरिक शक्ति
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