स्वामी चिदेयानंद- एक परिचय | swami Chideyanand - ek parichay

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
swami Chideyanand - ek parichay by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about स्वामी अशेवानंद सरस्वती - Swami Ashevanand Sarsvati

Add Infomation AboutSwami Ashevanand Sarsvati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
आपके अन्दर का ईदवरव्व आपके .बाहर की वस्तुओं से अधिक शक्तिशाली है, अतः किसी भी वस्तु से भय न कीजिये । अपनी अन्तरात्मा पर ही निर्भर रहिये । अन्तहं ष्ट द्वारा मुल से शक्ति पाइये। त्याग के बिना आप कदापि सुखी नहीं हो सकते । त्याग के बिना आप कभी विश्राम नहीं कर सकते । अतः सब कुछ त्याग डासिये । सुख पर अपना अधिकार जमाइये । त्याग को ही सर्वश्रेष्ठ सानिये । अपना सुधार कीजिये । चरित्र का निर्माण कीजिये । हुंदय को शुद्ध बनाइये । वृत्तियों को शान्त कीजिये । उफनते आवेगों को स्तब्ध कीजिये ! वहिमुख इच्द्रियों को समेट लीजिये । वासनाओं को नष्ट कीजिये । आप गम्भीर ध्यान में सहिमामय आत्मा के दर्शन करेंगे । पुर्ण स्वतन्त्रता तथा निर्वाण की प्राप्ति के पांच साधन हैं । इनसे ही परम सुख की प्राप्ति होती हैं । यह है सत्संग, विवेक, वैराग्य, मैं कौन हूँ ?' का विचार तथा ध्यान । ये ही स्वर्ग हैं, ये ही धर्म हैं, ये ही सर्वोच्च सुख हैं । पहले भला बनिये तब इन्द्रियों का दमन कीजिये, तब सिम्न सन को उच्च सन से पराजित कीजिये, तब ईश्वरीय ज्योति का अवततरण होगा । बिना जल्दबाजी किये शास्तिपुरवेक, संलग्नतायुवक ध्यान का अभ्यास कीजिये । आप शीघ्र ही समाधि प्राप्त कर लेंगे । आध्यात्मिक जीवन कठिन तथा श्रमयुक्त है । इसके लिए सतत सावधानी त्तथा उत्साह की आवश्यकता है । तभी ठोस उन्नति सम्भव है । आपने स्वयं ही अज्ञानवश बन्दीगृहू की दीवारें अपने लिए खड़ी की हूँ। आप विवेक तथा 'में कौन हूँ ?” के विचार द्वारा इन दीवार को ध्वस्त कर सकते हैं । कष्ट आदमी को शुद्ध बनाते हैं । वे पाप तथा मल को जला डालते हैं । ईश्वरतव अधिकाधिक प्रकट होते लगता है । उससे आन्तरिक शक्ति




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now