पालि व्याकरण | Pali Vyakaran

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Pali Vyakaran by भिक्षु धर्मरक्षित - Bhikshu dharmrakshit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(९ कर सभी काल में धातु के रूप परस्सपद्‌ और अत्तनोपद दो प्रकार के दोते हैं, किन्ठु व्यवहार में अत्तनोपद के रूप बहुत कम देखे जाते हैं | परस्सपद का ही प्रयोग बहुघा होता है । पठम पुरिस मज्झिम पुरिस उत्तम पुरिस पठति पठसि पठामि ही पु वत्तमान काल 'पठ' घातु परस्सपद एकवचन चहुवचन पठति परन्ति पठसि पठथ पठामि पठाम जथे पढता है | पठन्ति ० पढ़ते है । पढते हो । पठथ >> पढते हो । पढता हूँ । पठाम न. पढ़ते हैं! नीचे दिए हुए धातुओं के रूप भी 'पठ घाठु के समान ही होंगे ! ये धघातुएँ भ्वादि गण के हैं :-- घाततु श्र ह्स स्क्ख चद्‌ पच नम गम अथं होना हँसना रक्षा करना बोलना पकाना नमस्कार करना जाना पठम पुरिस में प्रयोग भवत्ति, भवन्ति दसति, दसम्ति रकक्‍्खति, रक्खन्ति वदति, चदन्ति पचति, पचन्ति नमति, नमन्ति गच्छति, गच्छन्ति




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