नानेश वाणी अनुभूति के क्षण भाग - 2 | Nanesh Vani Anubuti Ke Kshan Bhag - 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय चार
आत्म-समीक्षण के नव सूत्र
सूत्र : री
मैं विज्ञाता हू, दृष्टा हू
मुझे सोचना है कि मुझे किन पर श्रद्धा रखनी है
और कौनसे सिद्धान्त अपनाने हैं ?
मेरी दृष्टि लक्ष्याभिमुखी होते ही जान लेगी कि मैं सत्य श्रद्धा एव श्रेष्ठ
सिद्धान्तो से कितना दूर हू ? मैं सुदेव, सुगुरु एव सुधर्म पर अविचल
श्रद्धा रखूगा, श्रावकत्व एव साधुत्व के पालन मे संत्सिद्धान्तो के
आधार पर अपना समस्त आचरण ढालूँगा और ज्ञान व क्रिया के सयोग
से निर्विकारी बनने मे यत्नरत हो जाऊगा।
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