सर्वोदय अर्थशास्त्र की पुकार | Sarvoday Arthshastra Ki Pukar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : सर्वोदय अर्थशास्त्र की पुकार  - Sarvoday Arthshastra Ki Pukar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

Add Infomation AboutBhagwandas Kela

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सत्रह इन पन्नों को ' देख जाने के वाद पाठक मददसूस करेंगे कि सर्वोश्य अर्थशास्त्र उत्तनी पढ़ने या चर्चा करने की चीज नहीं है जितनी युनने और अमल करने को. यह . इसमें श्औौर दूसरे र्थ सालों. में फक्ते है. सर्वोदय अर्थशास्त्र समाज का हिसैपी है पर यक्ति प्रघान है. इसमें पहला कदम सुफे उठाना है, छापकों उठाना है, जो उसको 'माने उसे उठाना है. इस अर्थशास्त्र में कर्तच्य या फ़ाज़ प्रदले, अधिकार या हक़ घाद में. यद्द श्रर्थशास्त्र न केवल अर्थशास्त्र है बल्कि राजनीति-शास्त्र भी है, समाज शास्त्र भी है. जैसे गीता की भाषा में, जो भक्ति घद्दी ज्ञान वद़ी कर्म, हम तीनों को श्वलग अलग नहीं कर सकते. इसी तरद अगर इन्सान को सचमुच जीवित रद्दना है तो श्र्थशा््र, राजनीति- गाख्र घौर समाजशास्त्र को अलग अलग नहीं कर सकते. इस अर्थशाख्र में चालू अथेशास्त्र की खासियत स्वदेशी, चालू राजनीतिशाख्र की. खासियत, शोषण या ल्यादती से इंन्कार या सहयोग, और चालू समाजशाख्र को खासियत संयम, तीनों शामिल हैं. स्वदेशी माने अपनी जरूरतें जहां तक दो सकें उतनी . रखना जितनी दम अपने जिस्म की मेहनत से खुद पूरी कर सकें 'न्ौर मशीन का. उपयोग ( अगर हो तो ) उतना दी हो जिस पर हमारा कार्चू हो (न कि उसका हम पर), श्सदयोग माने किसी का शोषण या ज्यादती--चाहें राजा हो, सरकार हो, जमींदार हो, पूंजीपति दी, पाघा या मौलवी हो, कड़ा हो या.छोटा हो-- वर्रीश्ते नहीं करेंगे और उसके साथ सहयोग करेंगे. पर यद असहयोग करेंगे कैसे १--संयम से, यानी, खुद तकलीफें ' सहेंगे, दूसरे को मारेंगे नहीं, चाहे झपनी ज्ञान से हाथ घो बैठना पढ़े. इस त्तरदद' सर्वोाद्य * झथशाखत्र में स्वधर्म-मय स्वदेशी, झसहयोग-सत्याश्रद और प्रेम है. इन तीनों के निमाये




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now