प्रार्थना | Prarthana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ज्यूं-लोभी मन 'घनकी लान्सा,- भोगी के मन भोग ।
रोगी के सन माने औषधी . : जोगी के सन जोंग ।॥घ०॥। हे ॥
इणु पर लागी हो पूरण' प्रीतडा, जाव जीव :परियंत 1
भव-भव, चाहूँ हो न पढ़े. ांतरो, भंय -मंजना भगवंत ॥घ०॥ ४ ॥।
काम क्रोध सद मच्छर लोभ. थी, .कपटी कुटिल “कठोर ।
इस्यादिक अवगुण व.र हूँ भर'यो; उदय कसेके जोर । घ०॥ %५॥।
तेज प्रताप तुमासे -प्रगटै, मुज हिवड़ा में झाय ॥
तो हूँ 'आंतम निज शुग सं मालने अनंत बली कहियाय ॥च०॥। ६1)
भानू' चूप “सुन्नत्ता”: जननी तणों, अज् जाति अभिराम
'बिनयचंद ने बम तू.प्रभू ,-सुघ चेतन शुण घास ॥घ०॥ ७ ॥।
१६--शआ्र शातिनाथ-स्तवन
_( प्रभूजी पघारों हो नगरी -हसतणी एदेशी *)
' “विश्व सेन” दूप “अचला” पटरानी ।।
तासु सुन कुल सिखगार-हो सोमागी । क
जनमंतां शान्ति करी सिज देसमें ॥।
मरी सार .निवार हो . सोभागो । ं
ं शान्ति जिसेश्वर. साहिब सौलमां ॥ १ ॥
शान्ति दायक. तुम नाम हो. -सोभागी ।॥
तन सन बचन सुध कर 'ध्यावता ॥
पूरे सघली. छास हो. सोभागी ॥ र.॥
- . विघन न ब्यापे लुम सुमरन : कियां। '' .. . ..-
नासे -दारिद्र दुख हो, - सोभांगी ॥ -
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